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कृति उपरथी प्रत माहिती सं., पद्य, श्लोक२२, आदि वाक्यः क्षुधार्तः शक्तिमान्साधुरेषणां नाभिलङ्घयेत्... भांता ७०- पे.क्र. १५२, पृ. २०२B-२०३B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.
कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ साधुवन्दना
पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.५६, पाकाहेम १०३६२- पे.क्र. ६, पृ. १०-१४, मुहपत्तीछत्रीसी आदिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-५० साधुवर्णन
प्रा., गद्य, आदि वाक्यः एतेय सरीरवायर वणप्फइ काया दुवालसविहा पण्णत्ता... भांता ७०- पे.क्र.८३, पृ. १०६०, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.
कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ साधुश्रावकव्रतनिरूपण
प्रा., गद्य, आदि वाक्यः सुदं में आउसं तो इह खलु समणेण भयवदा... पातासंघवीजीर्ण ९२- पे.क्र. २, पृ. १-७, ओघनियुक्ति आदि, अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि, संपूर्ण
पे. विशेष- अपूर्ण. पूर्णतासूचक संकेत अनुपलब्ध है. झेरोक्ष पत्र-११-१४. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित., झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासूची आपेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-५८/६० साधुश्रावकषडावश्यकसूत्रादि (षडावश्यकसूत्रादि)
प्रा.,सं.,मारुगूर्जर, पाकाहेम १०४५३, पृ. ३५, साधुश्रावकषडावश्यकसूत्रादि, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक बाजुथी उंदरे करडेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-३६ साधुश्रावकसामाचारी
प्रा.,सं., आदि वाक्यः आयारमयं वीरं... पाताहेसं १५८- पे.क्र. १, पृ. १-१९१, साधुश्रावकसामाचारी सुखबोधा सामाचारी, आगमगत अनेक विचार
सङ्ग्रह, संपूर्ण
डीवीडी-८/१८ पाकाहेम २५९६- पे.क्र. १, पृ. १-२३, साधुश्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम ७०३७, पृ. २१, साधु-श्रावकसामाचारी, वि-१६७८, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम ७३८९, पृ. ५, साधु-श्रावकसामाचारी, वि-१५मी, अपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६ पाकाहेम ७९३३, पृ. १६, साधु-श्रावकसामाचारी, वि-१६२५, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति शुद्ध छे.
कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम ११७२६, पृ. ११, साधु-श्रावकसामाचारी, वि-१५०१, संपूर्ण
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