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कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १६६३०, पृ. ३७, अभिज्ञानशाकुन्तलनाटक टिप्पणी सह, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२६ अभिधानचिन्तामणि परिशिष्ट जुओ - अभिधानचिन्तामणिनाममाला-(सं.)अभिधानचिन्तामणि परिशिष्ट, संस्कृत अभिधानचिन्तामणिनाममाला (हैमीनाममाला)
आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्यअध्यायकांड, ग्रं.२६३०, आदि वाक्यः प्रणिपत्यार्हतः सिद्धसाङ्गशब्दानुशासनः।... पातासंघवी १२०, पृ. २४०, हैमीनाममालावृत्ति सह, वि-१२७५, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण छे सारी.
डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १७९-१- पे.क्र. २, पृ. १६३-१६९, योगशास्त्र चतुःप्रकाशान्तर्गतसुभाषितसमुच्चय आदि, प्रतिपूर्ण पे. नाम- अभिधानचिन्तामणी प्रथम काण्ड, पे. विशेष- श्लोक-८६. प्रथम २३ श्लोक छोडीने.
डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १८५-१, पृ. १६१, अभिधानचिन्तामणिनाममाला, वि-१३१४, संपूर्ण प्रत विशेष- छेवटे कोईक ग्रंथना १२ पत्र नकामां छे, पण आंक वगरनां छे.
डीवीडी-३७/५४ तालाद ३४१, पृ. ८६, अभिधानचिन्तामणीनाममाला, वि-१४मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-९४/९६ अताका ४८६- पे.क्र. १, पृ. १७A-८५B, अभिधानचिन्तामणि सह टिप्पण आदिनाममालाओ (भाग-१), अपूर्ण
पे. नाम- अभिधानचिन्तामणिनाममाला सह टिप्पण, पे. विशेष- संपूर्ण. पत्रांक- १-१७ पर कोई अन्य कृति __ होनी चाहिये जो इस प्रत में नहीं है. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी.(जैन प्राच्य विद्याभवन) पत्रांक घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र-५४ लिखा हुआ है
परन्तु कुल ५३ पत्र ही है.
कुल झे.पृष्ठ-५४, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम १००९९, पृ. २८, अभिधानचिन्तामणिनाममाला, वि-१४८५, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम १०२१०, पृ. १०, अभिधानचिन्तामणिनाममाला अपूर्ण, वि-१७मी, अपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम १०२११, पृ. १९३, अभिधानचिन्तामणि स्वोपज्ञ टीकासह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं डबल छे.
कुल झे.पृष्ठ-१९४ पाकाहेम १०२१२, पृ. ५७, अभिधानचिन्तामणि टिप्पणीसह पञ्चपाठ, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-५८ पाकाहेम १३०५१, पृ. ४८१, अभिधानचिन्तामणिनाममाला व्युत्पत्तिरत्नाकर टीकासह, वि-१८०२, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३२२ अभिधानचिन्तामणिनाममाला-(सं.)टीका आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१००००, आदि वाक्यः धर्मतीर्थकृतां वाचं नत्वा तत्त्वाभिधायिनीम्।...
कृ.विः उभय ग्रन्थाग्र-१००००. टीका ग्रन्थाग्र-४६८५. पातासंघवीजीर्ण ३६, पृ. २९६, अभिधानचिन्तामणीनाममाला टीका, वि-१३३७, त्रुटक प्रत विशेष- प्रथमनां ४ पत्र बगडेलां ने पाछलां २६४ थी पाना खवाई गया छे-जीर्ण-त्रुटक छे., विशिष्ट
प्रतिलेखन पुष्पिका.
डीवीडी-५७/५९ पातासंघवी १२०, पृ. २४०, हैमीनाममालावृत्ति सह, वि-१२७५, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण छे सारी.
डीवीडी-३४/५२ पाकाहेम १०२११, पृ. १९३, अभिधानचिन्तामणि स्वोपज्ञ टीकासह, वि-१७मी, संपूर्ण
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