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कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५५०. पाकाहेम १०३६९, पृ. ४२, आवश्यकनियुक्ति, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाभाभा १७, पृ. ६२, आवश्यकसूत्रनियुक्ति, वि-१६वी, संपूर्ण
प्रत विशेष- जलथी भींजायेली. भांका १९६, पृ. ३५, आवश्यकसूत्रनियुक्ति, वि-१४८३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१००२., गाथा-३२९४.
डीवीडी-८७ आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति-(सं.)टीका
सं., गद्य, पातासंघवीजीर्ण ८८ - पे.क्र. ४, पृ. १२, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- आवश्यक नियुक्ति सह टीका, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ७-८ पर है., यही कृति होने की संभावना
है. संदर्भ पूरा-पूरा नहीं मिल पाया है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे.
कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)दीपिका टीका (दीपिका टीका), (आवश्यकसूत्रनियुक्तिनी दीपिका टीका)
आचार्य-माणिक्यशेखरसूरि, गुरु-आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय(विधि], सं., गद्य, आदि वाक्यः
श्रीआवश्यकसूत्रनियुक्ति विषयः प्रायोदुर्गपदार्थः... पाकाहेम १०४८४, पृ. १७६, आवश्यकनियुक्ति दीपिका, वि-१५०६, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीमां भीजाई जवाथी सहेज चोंटी गई छे.
कुल झे.पृष्ठ-१७६ भांका २२०, पृ. ४२३, आवश्यकसूत्रनियुक्तिदीपिका, वि-१६३३, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१०९६.
डीवीडी-८७ आवश्यकसूत्र-नियुक्ति-(सं.)टिप्पणी
सं., गद्य, पाताहेसं १९१, पृ. २६१, आवश्यकनियुक्ति टिप्पणी, वि-१३९१, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमा आवश्यकनियुक्ति पत्र-१४८+१ अने आवश्यकपीठिकाव्याख्या पत्र १-१३
एम बे कृतिओनी विगत आपेल छे. नवा सूचीपत्रमा पत्र-१९७+६४ एम आपेल छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम १०११६, पृ. ५३, आवश्यकसूत्रनियुक्ति टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण
प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५५०. आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)अवचूर्णी
आचार्य-ज्ञानसागरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४४०, ग्रं.९००५, आदि वाक्यः (१) जयति
इन्द्रियविषयकषायघातिकर्म...(२) प्रणिपत्य जिनंवरेन्द्रा वीरं श्रुतदेवता... पाकाहेम १०४८५, पृ. १३१, आवश्यकनियुक्ति अवचूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण
प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे. ___ कुल झे.पृष्ठ-१३१ भांका १६३, पृ. ८३, आवश्यकसूत्र-निर्युक्त्यवचूर्णि, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१०९३.
डीवीडी-८६ आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)अवचूर्णि
सं., गद्य,
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