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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती लघीयस्त्रयप्रकरण- (सं.) न्यायकुमुदचन्द्र टीका ( न्यायकुमुदचन्द्र टीका) (लघीयस्त्रयालङ्कार) आचार्य प्रभाचन्द्रसूरि (दिगम्बर), सं., गद्य, आदि वाक्यः सिद्धिप्रदं प्रकटिताखिलवस्तुतत्त्वं ... भांता ५४, पृ. २६०, लघीयस्त्रय सह टीका न्यायकुमुदचन्द्र, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. २-००. डीवीडी-७२/८१ लघीयस्त्रयप्रकरण (सं.) टीका अभयचन्द्र, सं., गद्य, लिंता १४, पृ. २५, लघीयस्त्रयप्रकरण सटीक वि-१५६५, संपूर्ण लघीयस्त्रयप्रकरण-(सं.) न्यायकुमुदचन्द्र टीका (न्यायकुमुदचन्द्र टीका), (लघीयस्त्रयालङ्कार) आचार्य प्रभाचन्द्रसूरि (दिगम्बर), सं., गद्य, आदि वाक्य सिद्धिप्रदं प्रकटिताखिलवस्तुतत्त्वं ... भांता ५४, पृ. २६०, लघीयस्त्रय सह टीका न्यायकुमुदचन्द्र, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं.- 2000. डीवीडी-७२/८१ लघीयस्त्रयालङ्कार जुओ लघीयस्त्रयप्रकरण - (सं.) न्यायकुमुदचन्द्र टीका, आचार्य प्रभाचन्द्रसूरि (दिगम्बर), संस्कृत लघीयस्त्रयीप्रकरण जुओ लघीयस्त्रयप्रकरण, आचार्य अकलङ्कदेवसूरि (दिगम्बर), संस्कृत आतुरप्रत्याख्यान लघु, प्राकृत, गा.६० - - " लघु आउरप्रत्याख्यान जुओ लघु आतुरप्रत्याख्यान जुओ आतुरप्रत्याख्यान लघु प्राकृत, गा. ६० लघु चतुःशरण जुओ - चतुःशरण, संस्कृत श्लोक ८ लघु चतुःशरण प्रकीर्णक जुओ- चतुःशरणप्रकीर्णक, प्राकृत, गा. २७ लघु सङ्ग्रहणी जुओ - जम्बूद्वीपसङ्ग्रहणी, आचार्य- हरिभद्रसूरि, प्राकृत, ग्रं. १५०, गा.३१ लघुअजितशान्तिस्तव (अजितशान्तिस्तव लघु) आचार्य सिद्धसूरि, सं., पद्य, श्लोक२२, पाकाहेम ११३०८- पे क्र. ५. पृ. ४-५ अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-९ लघुअजितशान्तिस्तव (अजितशान्ति लघु) गणि-वीरगणि, अप., पद्य, गा.८, आदि वाक्यः गब्भअवयारि सोहम्मसुरसामिउ जणणि जे सन्थुणइ भत्तिभरभावित.... पातासंघवी ६४-२- पे.क्र. १२ पृ. २५१-२५१ आवश्यकनियुक्ति आदि संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १३०-१- पे.क्र. १०, पृ. ६५-६६ सङ्ग्रहणी आदि संपूर्ण प्रत विशेष झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे. पृष्ठ - ३७, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १७२-३- पे. क्र. १८, पृ. ११३A - ?, अपभ्रंशस्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है. प्रत विशेष अस्तव्यस्त त्रुटक. कर्ता-चक्रेश्वरसूरि आदि. कुल झे. पृष्ठ - ३०, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १९६-२- पे. क्र. १४ पृ. २२५-२२६, उपदेशमणिमाला आदि वि-१३८८, संपूर्ण प्रत विशेष विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३७/५५ पाताहेसं १६८- पे.क्र. ४८ पृ. ९८ दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र -५३-५४. प्रत विशेष - प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ- ७२, डीवीडी-९/१८ पाताहेसं १८९- पे.क्र. १४, पृ. ९९-१००B, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण 641
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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