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कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-शान्तिसूरि, सं., पद्य, श्लोक५७, पाकाहेम ६६९१, पृ. ४६, प्रमाणकलिकासूत्र तथा प्रमाणकलिकावृत्ति , वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४६ प्रमाणकलिकासूत्र-(सं.)वृत्ति
सं., गद्य, पाकाहेम ६६९१, पृ. ४६, प्रमाणकलिकासूत्र तथा प्रमाणकलिकावृत्ति , वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४६ प्रमाणकलिकासूत्र-(सं.)वृत्ति
सं., गद्य, पाकाहेम ६६९१, पृ. ४६, प्रमाणकलिकासूत्र तथा प्रमाणकलिकावृत्ति , वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४६ प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार
आचार्य-वादिदेवसूरि, प्रा., पातासंघवी १४६-१- पे.क्र. ५, पृ. ११५-१३३, तर्कभाषा आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३५/५३ भांता ५६, पृ. १००, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार सह वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-२-३९. ग्रन्थ खराब छे. टीका कई छे ए नक्की नथी.
कुल झे.पृष्ठ-३६, डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम ६६८९, पृ. १८२, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार स्वोपज्ञ स्याद्वादरत्नाकरवृत्तिसह प्रथमखण्ड, वि-१५मी,
प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१५०००.
कुल झे.पृष्ठ-१८२ पाकाहेम ८७५४, पृ. ४४, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार रत्नाकरावतारिकाटीकासह, वि-१४९१, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं अने ३३मुं डबल छे.
कुल झे.पृष्ठ-४५ भांका १२६, पृ. ६, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार, संपूर्ण
डीवीडी-८५ प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार-(सं.)स्याद्वादरत्नाकरवृत्ति (स्याद्वादरत्नाकरवृत्ति)
आचार्य-वादिदेवसूरि, सं., गद्य, ग्रं.७२८४, पातासंघवी २१, पृ. ३११, स्याद्वादरत्नाकर प्रथम खण्ड, वि-१४७६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- २९६, २९७, २९९, ३०१, ३०६, ३०९ ना टुकडा छे. २९२, २९५, ३०४ नथी., माईक्रोफिल्म
माहिती आपेली नथी.
डीवीडी-२२/४१ पातासंघवी ४६, पृ. ३४१, स्याद्वादरत्नाकर पञ्चम, षष्ठादि परिच्छेद, संपूर्ण प्रत विशेष- वचमा ८५ पत्र क्रमांक लख्यो नथी. तेमज घणे ठेकाणे पत्रो लखवानां छे.
डीवीडी-२७/४६ भांता ५६, पृ. १००, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार सह वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-२-३९. ग्रन्थ खराब छे. टीका कई छे ए नक्की नथी.
कुल झे.पृष्ठ-३६, डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम २४५६, पृ. २८३, स्याद्वादरत्नाकर-प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारटीका खण्ड-२, वि-१६मी, प्रतिअपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १६१-१६२नथी.
कुल झे.पृष्ठ-२७८ पाकाहेम ६६८९, पृ. १८२, प्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कार स्वोपज्ञ स्याद्वादरत्नाकरवृत्तिसह प्रथमखण्ड, वि-१५मी,
प्रतिपूर्ण
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