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कृति उपरथी प्रत माहिती पाताखेत ५४-१- पे.क्र. ३, पृ. ९८-९९, सटीक वीतरागस्तवादि जिनस्तोत्र, संपूर्ण
पे. नाम- स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तोत्र प्रत विशेष- पत्रांक-६०-११०.
___ कुल झे.पृष्ठ-१६, डीवीडी-६२/६४ स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र हरिशब्दार्थगर्भित# (हरिशब्दार्थगर्भित स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र), (पार्श्वनाथस्तोत्र)
आचार्य-नयचन्द्रसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १२५७, का.९, आदि वाक्यः सेढीतटस्तम्भनकप्रतिष्ठ...
पाकाहेम १२३२३- पे.क्र. १, पृ. १, स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र हरिशब्दार्थगर्भित आदि , वि-१७मी, संपूर्ण स्तव जुओ - जिनस्तव, आचार्य-हरिभद्रसूरि, संस्कृत, श्लोक२० स्तवनचतुर्विंशतिका जुओ - जिनस्तवनचतुर्विंशतिका, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, ग्रं.१५५ स्तुति अतीत-अनागत-वर्तमानचतुर्विंशतिका विहरमान जिननामगर्भित जुओ - अतीत-अनागत-वर्तमानचतुर्विंशतिका विहरमान
जिननामगर्भित स्तुति, आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्राकृत, गा.१२ स्तुति आचार्यनामगर्भित जुओ - आचार्यनामगर्भित स्तुति, संस्कृत, श्लोक७ स्तुति द्वात्रिंशिका
सं., पद्य, का.३४, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ३५, पृ. १२४-१२६, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३८/५५ स्तुति द्वात्रिंशिका
अप., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः विणनयरी नाभि मरुदेवि तसु नन्दणु पढमजिणु पहु वसहलञ्छणु... पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ३६, पृ. १२७-१२८, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३८/५५ स्तुतिचतुर्विंशतिका जुओ - चतुर्विंशतिजिनस्तुति, आचार्य-सोमप्रभसूरि, संस्कृत, का.२७ स्तुतिचतुर्विंशतिका जुओ - शोभनस्तुति, मुनि-शोभन, संस्कृत, का.९६ स्तुतिचतुर्विंशतिका-क्रियागुप्त विविध छन्दोमयी जुओ - क्रियागुप्तस्तुतिचतुर्विंशतिकाविविध छन्दोमयी, मुनि-सागरचन्द्र,
संस्कृत, श्लोक२५ स्तुतिस्तोत्रसमुच्चय (जिनस्तुतिस्तोत्रसमुच्चय)
आचार्य-सोमसुन्दरसूरितिपागच्छ], सं., पद्य, पाकाहेम ८५१२, पृ. ८, स्तुतिस्तोत्रसमुच्चय, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६ स्तोत्रकोष-त्रिंशच्चतुर्विंशतिकास्तुतिगर्भित (त्रिंशच्चतुर्विंशतिकास्तुतिगर्भित स्तोत्रकोष), (चतुर्विंशतिकास्तुति)
गणि-जगमाल, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १६३१, पाकाहेम ८५००, पृ.८, स्तोत्रकोष-त्रिंशच्चतुर्विंशतिकास्तुतिगर्भित, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६ स्तोत्रसङ्ग्रह युष्मदस्मद्रूपगर्भित-(सं.)टीका
गणि-सोमदेव गणि, सं., गद्य, पाकाहेम १२२९४, पृ. ४, युष्मदस्मद्रूपगर्भितस्तोत्रसङ्ग्रह सटीक पञ्जपाठ अष्टादशस्तवी, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-५ स्तोत्रावली
सं., पद्य, आदि वाक्यः नत्वा जगद्गुरुदेवं... पातासंघवीजीर्ण ८६-२- पे.क्र.५, पृ. १, चैत्यवन्दनादि भाष्य आदि, वि-१३६९, त्रुटक
कुल झे.पृष्ठ-६० स्त्रीनिर्वाण
आचार्य-शाकटायन भदन्तपाद[यापनीय], सं., पद्य, श्लोक४५, आदि वाक्यः प्रणिपत्य भुक्तिमुक्तिप्रदममलं धर्ममर्हतो
दिशतः... पातासंघवी १३५-२- पे.क्र. १, पृ. ११-१३, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५३
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