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कृति उपरथी प्रत माहिती वताकांति ३९२, पृ. १९७, शान्तिनाथचरित्र, वि-१४१२, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४८५५. , सचित्र. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-१७८, डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम १६७०, पृ. १०८, शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध, वि-१५४८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४८५०. वीरमगामना श्रावके धर्महंससूरिना उपदेशथी लखावेली प्रति.
कुल झे.पृष्ठ-७० पाकाहेम ४२९४, पृ. १७२, शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध टिप्पणी सहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४८५५. पत्र पला ने रजामां एक एक चित्र छे., प्रति शुद्ध छे.
कुल झे.पृष्ठ-१७३ पाकाहेम २०६३८, पृ. ८२, शान्तिनाथचरित्र, संपूर्ण प्रत विशेष- मुद्रित सूचीपत्रमा विगत नथी.
कुल झे.पृष्ठ-५५ शान्तिनाथचरित्र-(सं.)टिप्पण
सं., गद्य, पाकाहेम ४२९४, पृ. १७२, शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध टिप्पणी सहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४८५५. पत्र पला ने रजामां एक एक चित्र छे., प्रति शुद्ध छे.
कुल झे.पृष्ठ-१७३ शान्तिनाथचरित्र-(सं.)टिप्पण
सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १३०७, पाताहेसं ५७- पे.क्र. १, पृ. १-१६५अ, शान्तिनाथचरित्र महाकाव्य आदि, वि-१३८४, संपूर्ण पे. नाम- शान्तिनाथचरित्रमहाकाव्य सह टिप्पण, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-१-१६२. टिप्पणयुक्त पाठ.
प्रत की लिपि सुन्दर व सुवाच्य तथा पदच्छेद, अलंकरण, संधिसूचकादि लाक्षणिकताओं के साथ. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. प्रति सुन्दर लिपि, विशेष टिप्पण, पदच्छेद, संधिसूचक आदि
लाक्षणिकताओं से युक्त है.
कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-६/१५ शान्तिनाथचरित्र-(सं.)टिप्पण
सं., गद्य, पाकाहेम ४२९४, पृ. १७२, शान्तिनाथचरित्र श्लोकबद्ध टिप्पणी सहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४८५५. पत्र १ला ने २जामां एक एक चित्र छे., प्रति शुद्ध छे.
कुल झे.पृष्ठ-१७३ शान्तिनाथचरित्र-(सं.)टीका
गणि-साधुसोमगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २०५४- पे.क्र.२, पृ. ११-१३, आदिनाथचरित्रादि सटीक, वि-१७मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३३.
कुल झे.पृष्ठ-२२ शान्तिनाथस्तवन जुओ - लघुशान्तिस्तोत्र, आचार्य-मानदेवसूरि, संस्कृत, गा.१७ शान्तिनाथस्तवन
आचार्य-नयचन्द्रसूरि, सं., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः यस्सजा चितनात्सद्यः सञ्जयन्तेखिलल श्रियः... पाकाहेम १०२३- पे.क्र.३९, पृ. ११३, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-१४५ शान्तिनाथस्तवन
प्रा., पद्य, गा.१७. पाकाहेम ७३०७- पे.क्र. २४, पृ. २४मुं, शीलसन्धि आदि सङ्ग्रह, वि-१५मी, संपूर्ण
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