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कुल झे. पृष्ठ-४
कतिचिद्गाथावृत्ति जुओ- पिण्डनिर्युक्ति - (सं.) विषमगाथाविवरण, संस्कृत
कथा सङ्ग्रह जुओ- प्रकीर्णक कथाओ, संस्कृत
कथाओ जुओ प्रकीर्णक कथाओ, संस्कृत
कथाओ जुओ सुदर्शन श्रेष्ठिकथादि कथाओ, संस्कृत
कथाको
-
प्रा., गद्य,
पातासंघवीजीर्ण ६९- पे. क्र. २, पृ. १९५-२४६, ज्योतिष्करण्डक तथा कथाकोश व्याख्यासहित सटीक, त्रुटक प्रत विशेष- त्रुटक ने अपूर्ण डीवीडी-५८/६०
कथाकोश
कथाकोश - (सं.) टीका
सं. गद्य,
पातासंघवीजीर्ण ६९ पे क्र. २. पृ. ३०६ ज्योतिष्करण्डक तथा कथाकोश व्याख्यासहित सटीक, त्रुटक प्रत विशेष छुटक ने अपूर्ण डीवीडी-५८/६०
कृति उपरथी प्रत माहिती
प्रा., सं.,
पाकाम ९६१९, पृ. ६१, कथाकोश, वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झ. पृष्ठ-४१
कथाकोश जुओ कथानककोशसूत्र गाथाबद्ध आचार्य जिनेश्वराचार्य, प्राकृत कथाकोश - (सं) विवरण
आचार्य - जिनभद्रसूरि, गुरु- आचार्य - शालिभद्रसूरि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम १७मी, गा.३०, पाकाहेम १७७५, पृ. १-७, कथाकोश सह विवरण, वि-१७मी, संपूर्ण
प्रत विशेष - ९३-१४० सुधीना पाना उंदरे करडेला छे.
कुल झे. पृष्ठ-९४
कथाकोश - (सं.) टीका
सं. गद्य,
पातासंघवीजीर्ण ६९ पे क्र. २. पृ. ३०६ ज्योतिष्करण्डक तथा कथाकोश व्याख्यासहित सटीक, त्रुटक
"
प्रत विशेष- त्रुटक ने अपूर्ण
डीवीडी-५८/६०
कथाकोष कल्पमञ्जरी श्लोकबद्ध जुओ - कल्पमञ्जरी कथाकोष श्लोकबद्ध, आचार्य- जयतिलकसूरि, संस्कृत कथानक कोश
मुनि-विनयचन्द्र, प्रा., ग्रं. ५१४०, आदि वाक्यः वन्दित्तु भुवणनाहे असुरामरमणुयवन्दिए विहिणा... पातासंघवी १५४-२ पृ. १९३, कथानुकोष सटीक, वि-११६६, संपूर्ण
प्रत विशेष कर्ता-विनयचन्द्र ? एक तरफनी कोर खरी गई छे एटले अस्त व्यस्त छे. डीवीडी-३५/५३
कथानक कोश - (सं.) टीका
मुनि- विनयचन्द्र, सं., गद्य, आदि वाक्य आसां व्याख्या वन्दित्वा भुवननाथम्..... कृ. विः कर्ता विनयचन्द्रजी ?
पातासंघवी १५४-२ पृ. १९३, कथानुकोष सटीक, वि-११६६, संपूर्ण
प्रत विशेष कर्ता-विनयचन्द्र ? एक तरफनी कोर खरी गई छे एटले अस्त व्यस्त छे. डीवीडी-३५/५३
कथानक कोश (सं.) टीका
मुनि - विनयचन्द्र, सं., गद्य, आदि वाक्यः आसां व्याख्या वन्दित्वा भुवननाथम्...
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