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कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- परिमाण श्लोक संख्या २२००० आपेल छे. आवश्यकसूत्रना (सं.)शिष्यहितावृत्तिनुं (सं.)प्रदेशव्याख्या टिप्पण (प्रदेशव्याख्या टिप्पणक)
आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, ग्रं.४६४०, आदि वाक्यः जगत्त्रयमतिक्रम्य स्थिता यस्य पदत्रयी।... पातासंघवी १२३-१, पृ. १८९, आवश्यक टिप्पण, वि-१२५८, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण थई गई छे.
डीवीडी-३४/५२ वताकांति ३९८, पृ. २१८, आवश्यकवृत्तिप्रदेश-व्याख्या, टीप्पणक, संपूर्ण
डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ६५२७, पृ. ८०, आवश्यकसूत्रवृत्ति प्रदेशव्याख्या टिप्पनक, वि-१४९३, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-८१ पाकाहेम ६५५७, पृ. ६६, आवश्यकसूत्र वृत्तिटिप्पनक, वि-१४८१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४४२०.
कुल झे.पृष्ठ-६६ पाकाहेम १००६७, पृ. ६१, आवश्यकसूत्रवृत्तिप्रदेशव्याख्याटिप्पनक, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६१ पाकाहेम १०३७०, पृ. ५५, आवश्यकसूत्रवृत्तिप्रदेशव्याख्या-टिप्पनक , वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-५६ आवश्यकसूत्र-नियुक्ति-(सं.)टिप्पणी
सं., गद्य, पाताहेसं १९१, पृ. २६१, आवश्यकनियुक्ति टिप्पणी, वि-१३९१, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां आवश्यकनियुक्ति पत्र-१४८+१ अने आवश्यकपीठिकाव्याख्या पत्र १-१३
एम बे कृतिओनी विगत आपेल छे. नवा सूचीपत्रमा पत्र-१९७+६४ एम आपेल छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम १०११६, पृ. ५३, आवश्यकसूत्रनियुक्ति टिप्पणीसहित, वि-१६मी, संपूर्ण
प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५५०. आवश्यकसूत्रना (सं.)शिष्यहितावृत्तिनुं (सं.)प्रदेशव्याख्या टिप्पण (प्रदेशव्याख्या टिप्पणक)
आचार्य-हेमचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, ग्रं.४६४०, आदि वाक्य: जगत्रयमतिक्रम्य स्थिता यस्य पदत्रयी।... पातासंघवी १२३-१, पृ. १८९, आवश्यक टिप्पण, वि-१२५८, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण थई गई छे.
डीवीडी-३४/५२ वताकांति ३९८, पृ. २१८, आवश्यकवृत्तिप्रदेश-व्याख्या, टीप्पणक, संपूर्ण
__ डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम ६५२७, पृ. ८०, आवश्यकसूत्रवृत्ति प्रदेशव्याख्या टिप्पनक, वि-१४९३, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-८१ पाकाहेम ६५५७, पृ. ६६, आवश्यकसूत्र वृत्तिटिप्पनक, वि-१४८१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४४२०.
कुल झे.पृष्ठ-६६ पाकाहेम १००६७, पृ. ६१, आवश्यकसूत्रवृत्तिप्रदेशव्याख्याटिप्पनक, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६१ पाकाहेम १०३७०, पृ. ५५, आवश्यकसूत्रवृत्तिप्रदेशव्याख्या-टिप्पनक , वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-५६ आवश्यकसूत्रनियुक्तिनी दीपिका टीका जुओ - आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्तिनी (सं.)दीपिका टीका, आचार्य
माणिक्यशेखरसूरि, संस्कृत
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