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कृति उपरथी प्रत माहिती
सं., गद्य,
तालाद ३८९- पे.क्र. १, पृ. १-६०, दशवैकालिकसूत्रादि, वि-१२६५, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ७८, डीवीडी- ९४/९६
पाकाहेम ७५२४, पृ. २१, दशवैकालिकसूत्र टिप्पणीसहित वि-१६५७, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २२
दशवैकालिकसूत्र - (सं.) टीका
आचार्य तिलकसूरि, सं. गद्य रचना सं. विक्रम १३०४ ग्रं. ७०००, आदि वाक्य अर्हन्तः प्रथयन्तु मङ्गलममी
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शृङ्गारयन्ता सदा ।
पाताहेसं २५, पृ. २४० दशवैकालिकसूत्र वृत्ति सह संपूर्ण
डीवीडी-३/१३
पाकाहेम १४९२६, पृ. १८४ दशवैकालिकसूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण पुत्रे ४०७, पृ. २३५ दशवेकालिकसूत्र सह टीका, अपूर्ण
कुल झे. पृष्ठ-२३५
दशवैकालिकसूत्र (सं.) टीका
मुनि - समयसुन्दरजी, सं., गद्य,
पाताहे १७१-८, पृ. २९ दशवैकालिकसूत्र सटीक पञ्चपाठ, संपूर्ण
डीवीडी-९/१८
पाकाहेम १५२५२, पृ. ४३ दशवेकालिकसूत्र सटीक अपूर्ण, वि-१७मी, संपूर्ण दशवेकालिकसूत्र (सं.) बृहद्वृत्ति
आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं. ७५५०, आदि वाक्य : (१) जयति विजितान्यतेजाः सुराऽसुराधीशसेवितः श्रीमान् । (२) जयति विजितान्यतेजाः ... इहार्थतस्तत्प्रणीतस्य ...
कृ. विः वृत्ति निर्युक्ति उपर पण छे.
पातासंघवी ७४, पृ. ३११ दशवेकालिकनियुक्ति वृत्तिसह, वि-१४८९ संपूर्ण
प्रत विशेष सारी प्रथम २१ पत्रो नथी.
डीवीडी-३१/५०
पातासंघवी ८४, पृ. ३३९, दशवैकालिकटीका, वि-१३२६, संपूर्ण
प्रत विशेष पत्र १०२ नो टुकड़ो छे.
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डीवीडी-३२/५०
पातासंघवी ३५-१- पे.क्र. ३, पृ. २९-१९०, दशवैकालिकसूत्र, निर्युक्ति, वृत्ति, संपूर्ण
डीवीडी - २५/४४
पातासंघवी १२८-२ पृ. २०४ दशवैकालिकाटीका, संपूर्ण
प्रत विशेष- केटलेक ठेकाणे पत्रो वळी गयां छे, जीर्ण छे, डीवीडी-३४ / ५२
पाकाहेम ६५३९, पृ. ९१, दशवैकालिकसूत्रबृहद्वृत्ति, वि-१४८१, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ९२
पाकाहेम ६५६३, पृ. १२३, दशवैकालिक बृहद्वृत्ति, वि - १४८१, संपूर्ण
प्रत विशेष- पत्र २८मुं अने ५६मुं डबल छे.
कुल झे. पृष्ठ- १२४
पाकाहेम १०४०३, पृ. ८१, दशवैकालिकसूत्र बृहद्वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ- ८१ झे.
पाकाहेम १४७९७, पृ. ९८, दशवैकालिकसूत्रसटीक, वि- १४७३, संपूर्ण
प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७५५०. पत्र ४२मुं डबल छे.
कुल झ. पृष्ठ- १०० झे. दशवेकालिकसूत्र (सं.) बृहद्धत्तिनी (सं.) अवचूरि
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