________________
कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम ३७०२, पृ. २४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक-आख्यातवृत्ति दुण्ढिका,
वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१४३४. पत्र ९मुं नथी.
कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम ३७०३, पृ. १३, कातन्त्रव्याकरण कृद्वृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक-कृद्वृत्ति दुण्ढिका, वि-१६मी,
प्रतिअपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ८५६५, पृ. ४४, कातन्त्रव्याकरण स्वोपज्ञ चतुष्कवृत्ति बालावबोधवृत्तिटिप्पनकढुण्ढिका, वि-१६वी, प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम ९६४८, पृ. ३३, कातन्त्रव्याकरणचतुष्कवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्तिटिप्पनक-चतुष्कवृत्तिदुण्ढिका, वि
१६वी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रं.-२१२८.
कुल झे.पृष्ठ-३४ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)बालावबोधवृत्तिनो (सं.)टिप्पनक
आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय(विधि], सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४४४, पाकाहेम ९७४, पृ. ३०, कातन्त्रव्याकरण चतुष्कवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (चतुष्कवृत्तिढुण्ढिका),
प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२१२८.
कुल झे.पृष्ठ-२९ पाकाहेम ९७५, पृ. २१, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (आख्यातवृत्तिदुण्ढिका),
प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१४३४.
कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम ९७६ , पृ. ११, कातन्त्रव्याकरण कृमृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (कृद्धृत्तिढुण्ढिका), वि-१४६९,
प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७६७.
कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम २५५८, पृ. २८, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक आख्यातवृत्ति दुण्ढिका,
वि-१९५९, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२८ पाकाहेम ३७०२, पृ. २४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक-आख्यातवृत्ति ढुण्ढिका,
वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१४३४. पत्र ९मुं नथी.
कुल झे.पृष्ठ-२३ पाकाहेम ३७०३, पृ. १३, कातन्त्रव्याकरण कृद्धृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक-कृद्धृत्ति दुण्ढिका, वि-१६मी,
प्रतिअपूर्ण
__कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम ८५६५, पृ. ४४, कातन्त्रव्याकरण स्वोपज्ञ चतुष्कवृत्ति बालावबोधवृत्तिटिप्पनकढुण्ढिका, वि-१६वी, प्रतिपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४५ पाकाहेम ९६४८, पृ. ३३, कातन्त्रव्याकरणचतुष्कवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्तिटिप्पनक-चतुष्कवृत्तिदुण्ढिका, वि
१६वी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रं.-२१२८.
कुल झे.पृष्ठ-३४ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)विद्यानन्दीवृत्ति (विद्यानन्दीवृत्ति), (कातन्त्रोत्तर विद्यानन्दीवृत्ति)
200