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कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ८१, पृ. २७७, आवश्यकचूर्णी, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण
डीवीडी-३२/५० पाताहेसं १५, पृ. २६४, आवश्यकसूत्रचूर्णि प्रथम खण्ड अपूर्ण, प्रतिअपूर्ण
डीवीडी-२/१२ पाकाहेम ६५७९, पृ. ३२८, आवश्यकसूत्रचूर्णि, वि-१४८२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ८३मुं डबल छे.
कुल झे.पृष्ठ-३२८ पाकाहेम १००६५, पृ. २६१, आवश्यकसूत्रचूर्णि, वि-१५७४, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२६२ भांका २७९, पृ. ३४६, आवश्यकसूत्र-नियुक्ति चूर्णि, वि-१७७४, अपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-१०९०.
डीवीडी-९० आवश्यकसूत्र-(प्रा.)नियुक्ति (आवश्यकनियुक्ति)
आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, गा.२५००, ग्रं.३१००, आदि वाक्यः जयइ जगजीवजोणी वियाणओ जगगुरू
जगाणन्दो।....
कृ.विः आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे. पाताखेत १२- पे.क्र. ११, पृ. १४०-१५७, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण
पे. नाम- वन्दननियुक्ति, पे. विशेष- गाथा-१८९. प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे.
डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ५६, पृ. २१२, आवश्यकनियुक्ति, संपूर्ण
डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ३४-२- पे.क्र. ३, पृ. ?, नन्दिसूत्र, मङ्गळगाथा, आवश्यकनियुक्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमा आवश्यकनियुक्ति, चउसरण अने अजितशांति-अपूर्ण-आम त्रणनी माहिती
छे., पत्र-१३५+१५.
डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ५२-१, पृ. १७१, आवश्यकनियुक्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां कल्पसूत्र लख्युं छे.
डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ३७, पृ. १५९, आवश्यकनियुक्ति, वि-११९१, संपूर्ण प्रत विशेष- जीर्ण. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
डीवीडी-५७/५९ पातासंघवीजीर्ण ५४- पे.क्र. १, पृ. १-२०९, आवश्यकनियुक्ति आदि, त्रुटक
पे. विशेष- अपूर्ण. प्रत विशेष- अपूर्ण-त्रुटक.
डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. ४, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक पे. नाम- आवश्यक नियुक्ति सह टीका, पे. विशेष- झेरोक्ष पत्र ७-८ पर है., यही कृति होने की संभावना
है. संदर्भ पूरा-पूरा नहीं मिल पाया है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे.
कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ९०- पे.क्र. १, पृ. १-१६७, आवश्यकनियुक्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३२/५१
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