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कृति उपरथी प्रत माहिती कृ.विः अन्तवाक्य-सुखमक्षयं. पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५३, पृ. १२५आ-१२६अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण
पे. नाम- धर्मनाथस्तवन, पे. विशेष- संपूर्ण. लिपी अवाच्य है. झेरोक्ष पत्र-६१-६२. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.
कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ धर्मपरीक्षा
आचार्य-अमितगति[दिगम्बर], सं., पद्य, श्लोक१७३९, पाकाहेम १०१२७, पृ. ४३, धर्मपरीक्षा, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४थु नथी.
कुल झे.पृष्ठ-४४ धर्मपरीक्षा
मुनि-हरिषेण, अप., रचना सं. विक्रम १०४४अध्याय११सन्धि, ग्रं.२०७०, आदि वाक्यः सिद्धिपुरन्धिहिकन्तु सुखें तणु
मण बयणे भत्ति...
कृ.विः इसके संपादन में जिनरत्नकोश का मदद लिया गया है. भांका २८९, पृ. १३७, धर्मपरीक्षा, वि-१५९५, संपूर्ण प्रत विशेष- संशोधित प्रति. पदच्छेद, टिप्पणादि से युक्त. प्रतिलेखन पुष्पिका. कर्मचन्द राज्य प्रवर्तमाने.
कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-९१ धर्मपरीक्षा
उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], प्रा., पाकाहेम १५२५३, पृ. १०९, धर्मपरीक्षास्वोपज्ञटीकासहित त्रिपाठ, वि-१७२५, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७२ धर्मपरीक्षा-(सं.)स्वोपज्ञ टीका
उपाध्याय-यशोविजयजी गणि[तपागच्छीय], सं., पद्य, श्लोक५५५०, पाकाहेम १५२५३, पृ. १०९, धर्मपरीक्षास्वोपज्ञटीकासहित त्रिपाठ, वि-१७२५, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७२ धर्मपरीक्षा
मुनि-मनोहर (दिग.), हिन्दी, पद्य, गा.१०८३, आदि वाक्यः पणमुं अरहन्तदेव गुरु निरगन्थ दया धरम भवदधि
तारण एव...
कृ.विः भाषा-प्राचीन हिन्दी. भांका २९०, पृ. १०१, धर्मपरीक्षा, संपूर्ण - प्रत विशेष- पत्रांक-४३.५७ अवास्तिवक घटते पत्र है.
कुल झे.पृष्ठ-६८, डीवीडी-९१ धर्मपरीक्षा-(सं.)स्वोपज्ञ टीका
उपाध्याय-यशोविजयजी गणितपागच्छीय], सं., पद्य, श्लोक५५५०, पाकाहेम १५२५३, पृ. १०९, धर्मपरीक्षास्वोपज्ञटीकासहित त्रिपाठ, वि-१७२५, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७२ धर्मपाल-वस्तुपालकथा
सं.,
पातासंघवी १६८-पे.क्र. १२, पृ. ११८-११९, वन्दारुवृत्ति आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अक्षरो भूसाई गया छे.
डीवीडी-३६/५४ धर्मप्रभगुरुगुणमाल
मारुगूर्जर, पद्य, गा.१८, पाकाहेम १२१२४- पे.क्र.५३, पृ. १५४-१५५, प्रकरणसङ्ग्रह आदि, वि-१५मी, संपूर्ण
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