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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१७३६६. कुल झे.पृष्ठ-२११ पाकाहेम ६८८१, पृ. ६०८, व्यवहारसूत्र नियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसहित, वि-१६४६, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३९३मुंडबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६१० पाकाहेम १००४७, पृ. ८०, व्यवहारसूत्र भाष्य, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४६२९. कुल झे.पृष्ठ-८० पाकाहेम १००४९, पृ. २२८, व्यवहारसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह प्रथम खण्ड, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१६८५६. प्रथम पत्रमा समवसरण- चित्र छे. कुल झे.पृष्ठ-२२८ पाकाहेम १००५०, पृ. २३९, व्यवहारसूत्रनियुक्ति-भाष्य-वृत्तिसह द्वितीय खण्ड, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ३१६मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-४६७ व्यवहारसूत्र-(प्रा.)भाष्य (व्यवहारभाष्य) गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, पाताहेसं १२, पृ. १-७, व्यवहारसूत्र भाष्य-वृत्तिसहितद्वितीय खण्ड चतुर्थ उद्देशथी अष्टम उद्देश पर्यन्त, प्रतिपूर्ण डीवीडी-२/१२ व्यवहारसूत्र-(सं.)अवचूरि आचार्य-सौभाग्यसागरसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः य इति सर्वनाम अनिर्दिष्ट नामनो निर्देशे... कृ.विः यह अवचूरि बृहट्टीका से संकलन करके संक्षेप में बनायी गयी है. पुप्रे ४३८, पृ. ७८, व्यवहारसूत्रावचूरि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-७६ व्यवहारसूत्र-(सं.)पर्याय सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. ११, पृ. २३-२४, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८४ व्यवहारसूत्र-(सं.)बीजक सं., गद्य, पाकाहेम ५३६३, पृ. २, व्यवहारसूत्र बीजक, वि-२०मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२ व्यवहारसूत्र-(सं.)वृत्ति आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१३७१९, आदि वाक्यः प्रणमत नेमिजिनेश्वरमखिलप्रत्यूहतिमिररविबिम्बम् ।... पाताहेसं १२, पृ. १-७, व्यवहारसूत्र भाष्य-वृत्तिसहितद्वितीय खण्ड चतुर्थ उद्देशथी अष्टम उद्देश पर्यन्त, प्रतिपूर्ण डीवीडी-२/१२ भांता १, पृ. ४८४, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका-उद्देशक-१-३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४७२/ १-४६४., पत्र-६+४८५+३=४९४., ३५A-३५०,३६५A-३६५,३६६-१,३६६ २,३६६-३ घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-३६८, डीवीडी-६५/७४ भांता २, पृ. ४३९, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका मूल-सम्पूर्ण, टीका-उद्देशक-४-१०, वि-१४१२, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- भंडार संदर्भाक-१३१-३२/८१-८२, सूचीपत्र नं.१-४६३/४७४., १००-१,१००-२,१००-३,१००-४ डबल छे. डीवीडी-६५/७४ भांता ३, पृ. ४००, व्यवहारसूत्र भाष्यटीका-उद्देशक-१, वि-१३४४, अपूर्ण 698
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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