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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., पद्य, गा.१७, आदि वाक्यः खेत्ताण अणुन्नवणा जहा मूलस्य सुद्धपढिवए... कृ.विः अ.वाक्य-संभोगविसुकरणं इयरअलंभं न पेल्लंति भांता ७०- पे.क्र. ६७, पृ. ८३A-८४A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-२-१५९. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आभाव्यानाभाव्यविचार प्रा., गद्य, आदि वाक्यः दो मासा पोसपुन्निमाए पूरन्ति जत्थ वासं ठिया... कृ.विः अं.वाक्य-से आणाअणवत्थं मिच्छात्थविराहणं पावे. भांता ७०- पे.क्र.६९, पृ. ८७A-CLA, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आमराजयात्राप्रबन्ध आचार्य-बप्पभट्टसूरि, सं., पाकाहेम ८००७, पृ. २१, बप्पभट्टिकारितामराजयात्राप्रबन्ध, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ आमेरु महामन्त्र (सूरिमन्त्रपटालेखनविधि) आचार्य-पूर्णचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.१३, आदि वाक्यः इय एए उवएसो सम्मं नाऊण ज्झाइ जो सूरी... कृ.विः अंतिमवाक्य-(१)ॐ बउ निबऊ समणे सोमणासे महुरे महुरे स्वाहा. (२)ॐ किरिकिरि. भांता ७०- पे.क्र.३, पृ. ४०-४B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३७९. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आयतनगाथा प्रा., पद्य, आदि वाक्यः जइ समणाण ण कप्पइ एवं एगाणिया जिणवरिन्दा... कृ.विः अंतिमवाक्य-नीयाइं सुरलोए भत्तिकथाए...तथाएसो वयसु निच्चं. भांता ७०- पे.क्र.६२, पृ.७९B-८१A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५०A-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ आयतनस्वरूप प्रा., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः वज्जेत्तु अणाययणं आयतणगवेसणं सया कुज्जा... कृ.विः अन्तिमवाक्य-जत्थ साहम्मिया बहवे...आययणं वियाणाहि. भांता ७०- पे.क्र. ६६, पृ. ८२B-८३A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-५६६. सूचीपत्रांक-१-१४३६ मां पण आज विगत छे. 63
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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