________________
कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.
कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ मासकल्पविचार प्रा., गद्य, आदि वाक्यः अप्पडिवड्ढेण सया गुरूवएसेण सव्वभावेसु...
कृ.विः अं.वाक्य-सेसोमासो जोगपरिक्खेसि ...निग्गंथीण मासं वत्थए. भांता ७०- पे.क्र. ७३, पृ. ९१B-९५A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४३३. सूचीपत्रांक-२१४१. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङक-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.
कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ मासकल्पादि अनेक आगमोद्धत विचारो
प्रा.,सं., गद्य, पातासंघवी ६०-३- पे.क्र. १, पृ. १B-१२५B, मासकल्पादि अनेक आगमोद्धृत विचारो आदि, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३६, डीवीडी-३०/४८ मिच्छत्तकुलय (मिथ्यात्वकुलक)
प्रा., पद्य, भांता ७२- पे.क्र. ३७, पृ. १९१(?), दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र का पार्श्वभाग, पत्रांकवाला हिस्सा एवं पाठ का अनुसंधान भाग खंडित होने से पाठ कहाँ से
प्रारंभ होता है वह अस्पष्ट है. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११.
कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ मिच्छाउक्कडकुलक (मिच्छामि दुक्कडं कुलक) प्रा., पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः जे कोवीय पाणगुणो दुखे दुतीउमइ गो चिजगनाहो।...
कृ.विः गाथा पूर्णता अज्ञात. गाथा इसके बाद भी होनी चाहिये. पातासंघवीजीर्ण ९१- पे.क्र. ११, पृ. ४B-4B-, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, प्रशमरति व प्राचीनकर्मग्रन्थ आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ४५-४८ पर है. उलटे क्रम से झेरोक्ष किया गया है., गाथा-१५ तक ही
उपलब्ध है. प्रत विशेष- जीर्ण-अव्यवस्थित.
कुल झे.पृष्ठ-४८, डीवीडी-५८/६० मिच्छामि दुक्कडं कुलक जुओ - मिच्छाउक्कडकुलक, प्राकृत, गा.१५ मिताक्षरी व्याख्या जुओ - पदार्थतत्त्वनिर्णय-(सं.)मिताक्षरी व्याख्या, संस्कृत मित्रसेनराजाकथा
सं., पद्य, आदि वाक्यः दानशीलतपः सम्पद्भावने भजते रसं... पातासंघवीजीर्ण ९२- पे.क्र. ११, पृ.७९-८५, ओघनियुक्ति आदि, अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि, संपूर्ण
पे. विशेष- अपूर्ण. अन्त के पत्र नहीं है. श्लोक-६१ तक है. प्रत विशेष- जीर्ण-त्रुटक-अव्यवस्थित., झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासूची आपेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-६४, डीवीडी-५८/६० मिथ्यात्वकुलक जुओ - मिच्छत्तकुलय, प्राकृत मिथ्यात्वकुलक
प्रा., पद्य, गा.२५, पाकाहेम ७७८२, पृ. २, मिथ्यात्वकुलक बालवबोधसहित पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण
602