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कृति उपरथी प्रत माहिती सर्वज्ञदेवसहस्रनामस्तोत्र (सहस्रनामस्तोत्र)
सं., पद्य, श्लोक१२८, पाकाहेम ८२२०- पे.क्र. २, पृ. १-३, अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय आदि, वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४ सर्वज्ञपरीक्षा
प्रा., पद्य, गा.१४१, आदि वाक्यः एवं अण्णाइ कालं जीवो... तालाद ३३९- पे.क्र. १६, पृ. १०२-१०५, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ सर्वज्ञवादस्थल
सं., गद्य, आदि वाक्यः सकल प्रत्यक्षं लक्षयन्ति सकलं तु सामग्रीविशेष... भांका २९२- पे.क्र. ६, पृ. १२B-१३०, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ सर्वज्ञव्यवस्था प्रकरण
सं.,
पातासंघवी १३५-२- पे.क्र.८, पृ. १०८-१२१, स्त्रीनिर्वाण आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३४/५३ सर्वज्ञव्यवस्थापननामप्रकाश डतामुक्ता ४५८, पृ.६, सर्वज्ञ व्यवस्थापन नाम प्रकाश, संपूर्ण
डीवीडी-१०१/१०२ सर्वज्ञव्यवस्थापनवादस्थल
सं..
पाकाहेम ८७९६- पे.क्र. ३, पृ. ४-६, धर्मास्तित्वस्थापनवादस्थल आदि, वि-१७०३, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६ सर्वज्ञव्यवस्थापनावादस्थल
सं., गद्य, आदि वाक्यः इह हि केचिदज्ञानमहामहीधरभाराक्रान्तचेतसः... भांका २९२- पे.क्र.८, पृ. १५A-१६०, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ सर्वज्ञशतक
उपाध्याय-धर्मसागर, प्रा., पद्य, गा.११२, आदि वाक्यः पणमिय सिरिवीरजिणं छउमत्थ जिणाणमन्तरं सम्म... भांका १९९, पृ. ४, सर्वज्ञशतक, संपूर्ण प्रत विशेष- संशोधित प्रति. टिप्पण सहित.
कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८७ सर्वज्ञसिद्धिनिरूपण सं., पद्य,
कृ.विः दिगम्बर आचार्य श्रीअनन्तकीर्ति रचित बृहत्सर्वज्ञसिद्धि नामक कृति में उल्लिखित पद्यांश भाग से
इस कृति की सभी कारिकाएँ मिलती है परन्तु गद्यांश भाग सर्वथा भिन्न है. ये पद्यांश भाग श्री कुमारिल
भट्ट निरूपित पूर्वपक्ष मंडनात्मक है. पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र. १७, पृ.७२-८०, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र,
त्रुटक पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र ८३-८७. बृहत्सर्वज्ञसिद्धि की कारिका नं.१ ताडपत्रीय पत्रांक ७८ पर व
झेरोक्ष पत्र ८६ पर मिलती है. इस प्रत में उल्लिखित पद्य बृहत्सर्वज्ञसिद्धि से मिलता है परन्तु गद्यांश भाग इससे सर्वथा भिन्न है. सर्वज्ञसिद्धिविषयक कोई नयी कृति लगती है. झेरोक्ष क्रमबद्ध नहीं किया
गया है. प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे.
कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६०
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