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कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ११२८१, पृ. १, पार्श्वनाथस्तोत्र स्वोपज्ञटीकासहित पञ्चपाठ यमकमय, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ पार्श्वनाथ संस्तवन-दशभवग्रहणनिबद्ध (दशभवग्रहणनिबद्ध - पार्श्वनाथ संस्तवन)
प्रा., पद्य, गा.२६, आदि वाक्यः सयल सुरासुर नमिउ० पासं दसभवगहण लिंगानि।... पाताहेसं १६८- पे.क्र. १९, पृ. ३४अ-३६अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण
पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-३३-३४. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.
कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पार्श्वनाथ स्तवन
सं., पद्य, श्लोक१०, आदि वाक्यः परिमौलिक... पाताहेसं १६८- पे.क्र. ५४, पृ. १२६अ-१२७अ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण
पे. नाम- पार्श्वनाथस्तवन, पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६१-६३. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.
कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पार्श्वनाथ स्तवन शृङ्खलालङ्कारमय जुओ - स्तम्भनपार्श्वनाथ शृङ्खलालङ्कारमय स्तवन#, संस्कृत, का.८ पार्श्वनाथचरित्र
आचार्य-देवप्रभसूरि, प्रा., रचना सं. विक्रम ११६५, ग्रं.९०००, पातासंघवी ७५, पृ. ३११, पार्श्वनाथचरित्र, वि-११९९, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., वचमां केटलांएक पत्रो नथी., प्रत सारी.
डीवीडी-३१/५० पार्श्वनाथचरित्र
सं., पातासंघवीजीर्ण ८८- पे.क्र.६, पृ. ?, उपदेशमाला, पार्श्वनाथाष्टक आदि अनेक ग्रन्थों के त्रुटक पत्र, त्रुटक प्रत विशेष- नकामी., झेरोक्ष पत्र ८७ बेवडाएल छे.
कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-५८/६० पार्श्वनाथचरित्र
आचार्य-सर्वानन्दसूरि, सं., पद्य, श्लोक१३०६,
कृ.विः विशिष्ट रचना प्रशस्ति. पातासंघवीजीर्ण २७, पृ. १९०, पार्श्वनाथचरित्र, वि-१३६?, अपूर्ण
डीवीडी-५६/५९ पार्श्वनाथचरित्र
आचार्य-भावदेवसूरि[खण्डिल्लगच्छ], सं., पद्यसर्ग८, ग्रं.८०७४, आदि वाक्यः नाभेयाय नमस्तस्मै यस्य
क्रमनखांशव... पाकाहेम ७३७०, पृ. १३८, पार्श्वनाथचरित्रमहाकाव्य श्लोकबद्ध, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली अने शुद्ध छे.
कुल झे.पृष्ठ-१३७ भांका १०६, पृ. १३८, पार्श्वनाथचरित्र, वि-१४८१, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रं. पा. १०५ नथी. ७५ नंबर २ छे. सूचीपत्रक्रम-४-३८२. ग्रन्थाग्र-६४००.
डीवीडी-८४ पार्श्वनाथचरित्र
पण्डित-पद्मसुन्दर, गुरु-पण्डित-पद्ममेरु, सं., पद्यअध्याय७, आदि वाक्यः भास्वद्भोगीन्द्रः... पुप्रे ४२९, पृ. ९७, पार्श्वनाथचरित्र, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-९७ पार्श्वनाथचरित्र सङ्क्षिप्त
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