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कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२० नन्दीसूत्र-(सं.)वृत्ति
आचार्य-मलयगिरिसूरि, सं., गद्य, ग्रं.७७३२, आदि वाक्यः जयति भुवनैकभानुः सर्वत्राविहतकेवलालोकः । पातासंघवी ३७- पे.क्र. २, पृ. १६-२२६, नन्दीसूत्र तथा नन्दीसूत्रवृत्ति, वि-१४८९, संपूर्ण
पे. विशेष- सारी-पूर्ण. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
डीवीडी-२५/४४ भांता ५९- पे.क्र. १, पृ. ३००, नन्दीसूत्र सटीक + अनुयोगद्वारना थोडा पाना, संपूर्ण
पे. विशेष- पानाओ अस्त-व्यस्त छे. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-६४१.
डीवीडी-७२/८१ पाकाहेम ७०२, पृ. १५४, नन्दीसूत्रटीका, वि-१५६५, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-७७७२.
कुल झे.पृष्ठ-१५४ पाकाहेम ३५४५, पृ. १४६, नन्दीसूत्रवृत्ति अपूर्ण, वि-१५वी, त्रुटक
कुल झे.पृष्ठ-१५५ भांका २५९- पे.क्र. १, पृ. १-१५५, नन्दीसूत्र, टीका, वि-१४७४, संपूर्ण
पे. विशेष- सूचिपत्रांक-१-६१९. ग्रन्थाग्र-७८३२. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६०९, १-६१९. उभयग्रन्थाग्र-८५३५.
डीवीडी-८९ नन्दीसूत्र-(सं.)विषमपदपर्याय (विषमपदपर्याय टीका)
सं., गद्य, पाकाहेम ७१११- पे.क्र. १६, पृ. ३०-३२, सर्वसिद्धान्तविषमपदपर्याय, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-८४ नन्दीसूत्र-(सं.)दुर्गपदवृत्ति (दुर्गपदवृत्ति) ।
आचार्य-श्रीचन्द्रसूरि, गुरु-आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, ग्रं.३३००, आदि वाक्यः सम्यगित्येवं
गुाराधनविषयत्वेनाष्टावपि गुणा व्याख्यायन्ते श्रुतावाप्तौ मूलोपायात्वदुर्वाराधनाया इति गाथार्थः ।... भांका २०९, पृ. ६, नन्दीसूत्रविवरण दुर्गपदव्याख्या, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६२०.
डीवीडी-८७ नन्दीसूत्र-(सं.)लघुवृत्ति
सं., कोष्टक, पातासंघवीजीर्ण ९७- पे.क्र. २, पृ.?, उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक ___ पानां, संपूर्ण पे. नाम- नन्दीसूत्र सह टीका, पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है.
डीवीडी-५८/६० पाकाहेम १००२८, पृ. ३१, नन्दिसूत्रलघुवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- जुना केटलोगमां उपासकदशांगसूत्र लघुवृत्ति एम अशुद्ध छपाएल छे. जुओ नवा केटलोगनुं
शुद्धिपत्र.
कुल झे.पृष्ठ-३१ नन्दीसूत्रनो हिस्सो (प्रा.)स्थविरावली (स्थविरावली). (नन्दीसूत्रगत थेरावली), (थेरावली)
वाचक-देववाचक, प्रा., पद्य, गा.५०, आदि वाक्यः जयइ जगजीवजोणी... पाताखेत ६- पे.क्र. ३, पृ. ५२-५७, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण पे. नाम- थिरावली
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स., गधा