________________
कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-१४५ नन्दीसूत्र वाचक-देववाचक, प्रा., संयुक्त प+ग, ग्रं.७००, आदि वाक्यः जयइ जगजीवजोणीवियाणओ जयगुरू जगाणन्दो।
कृ.विः आनुं अने आवश्यकनियुक्तिनुं आदिवाक्य समान छे. पाताखेत ३४-२- पे.क्र. १, पृ.?, नन्दिसूत्र, मङ्गळगाथा, आवश्यकनियुक्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां आवश्यकनियुक्ति, चउसरण अने अजितशांति-अपूर्ण-आम त्रणनी माहिती
छे., पत्र-१३५+१५.
डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ९७- पे.क्र. २, पृ. ?, उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक
पानां, संपूर्ण पे. नाम- नन्दीसूत्र सह टीका, पे. विशेष- पत्र अस्त-व्यस्त है.
डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ३७- पे.क्र. १, पृ. १-१५, नन्दीसूत्र तथा नन्दीसूत्रवृत्ति, वि-१४८९, संपूर्ण
पे. विशेष- सारी-पूर्ण. प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
डीवीडी-२५/४४ पातासंघवी १४६-२- पे.क्र. १, पृ. १-८२, नन्दीसूत्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-७०.
डीवीडी-३५/५३ भांता ५९- पे.क्र. १, पृ. ?, नन्दीसूत्र सटीक + अनुयोगद्वारना थोडा पाना, संपूर्ण
पे. विशेष- पानाओ अस्त-व्यस्त छे. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-६४१.
डीवीडी-७२/८१ भांता ७०- पे.क्र. २५, पृ. ३२B-३५A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३७१. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.
कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम १००२६, पृ. १४, नन्दिसूत्र, वि-१५६९, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५००. प्रथम पत्रमा समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे.
कुल झे.पृष्ठ-१५ पाकाहेम १०८२०, पृ. १८, नन्दिसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण
प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५००. भांका २५९- पे.क्र. २, पृ. १५५-१७०, नन्दीसूत्र, टीका, वि-१४७४, संपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-६०९. प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-६०९, १-६१९. उभयग्रन्थाग्र-८५३५.
डीवीडी-८९ नन्दीसूत्र-(प्रा.)चूर्णि
गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्रा., गद्य, रचना सं. शक ५९८ , पाकाहेम १००२७, पृ. २०, नन्दिसूत्रचूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण
प्रत विशेष- जुना केटलोगमां उपासकदशांगचूर्णि एम अशुद्ध छपाएल छे. जुओ नवा केटलोगनुं शुद्धिपत्र.
396