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कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहेसं १६८- पे.क्र. ४३, पृ. ८७आ-८८आ, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण
पे. विशेष- संपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-४९-५०. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.
___ कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ पाकाहेम २५९६- पे.क्र. १०, पृ. ३०-३१, साधुश्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७ कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ (नव्य कर्मग्रन्थ द्वितीय), (कर्मग्रन्थ नव्य द्वितीय कर्मस्तव)
आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.३४, आदि वाक्यः तह थुणिमो वीरजिणं... पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. १, पृ. १-९३, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण
पे. विशेष- वृत्ति ग्रन्थाग्र-८३२. प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे.
कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ पाकाहेम ६९७४- पे.क्र. २, पृ. १३, कर्मविपाक-कर्मस्तव कर्मग्रन्थसस्तबक, वि-१७०६, संपूर्ण पे. नाम- कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ सह (मा.गु.)स्तबक
कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)वृत्ति
आचार्य-देवेन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.८३०, आदि वाक्यः बन्धोदयोदीरणसत्पदस्थं... पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. १, पृ. १-९३, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण
पे. विशेष- वृत्ति ग्रन्थाग्र-८३२. प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे.
कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ भांता ८०, पृ. ४७, कर्मस्तवटीका, संपूर्ण
डीवीडी-७३/८३ कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-(मा.गु.)स्तबक
मुनि-धनविजय, मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ६९७४- पे.क्र. २, पृ. १३, कर्मविपाक-कर्मस्तव कर्मग्रन्थसस्तबक, वि-१७०६, संपूर्ण पे. नाम- कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ सह (मा.गु.)स्तबक
कुल झे.पृष्ठ-१३ कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि
सं., गद्य, आदि वाक्यः तथा तेन प्रकारेण स्तुमः श्रीवीरं... भांका १७४- पे.क्र. २, पृ. ८-१४, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि-१ से ५ कर्मग्रन्थ, वि-१६२४, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका. सर्वग्रन्थाग्र-३०००.
कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-८६ कर्मस्तव नव्य द्वितीय कर्मग्रन्थ-(सं.)अवचूरि
सं., गद्य, आदि वाक्यः (१) तह० मिथ्यात्वादिभिर्बन्धहेतुभिः...(२) तह० गुणस्थानेषु मिथ्यात्वादिभिः... पाकाहेम ६९७३- पे.क्र. २, पृ. ३-५, नव्यकर्मग्रन्थचतुष्टय अवचूरि, वि-१५११, संपूर्ण
पे. नाम- कर्मस्तवावचूरि प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-९ भांका २०६- पे.क्र. २, पृ.७-१२, नव्यकर्मग्रन्थावचूरि, वि-१५०७, संपूर्ण
पे. नाम- कर्मस्तवावचूरि प्रत विशेष- प्र.पु.श्लोक-यादृशं पुस्तकं.
कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-८७
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