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श्राविधि/१९
कदाचित् दिन में नींद आ जाय और उस नींद में कुस्वप्न देखें तो भी कायोत्सर्ग करना चाहिए। परन्तु वह कायोत्सर्ग उसी समय करें या संध्या-प्रतिक्रमण के समय-इसका निर्णय बहुश्रुतज्ञ के पास से करना चाहिए।
'विवेक विलास' ग्रन्थ में कहा है सुन्दर स्वप्न देखने के बाद नहीं सोना चाहिए और दिन में सद्गुरु को वह स्वप्न कहना चाहिए। यदि खराब स्वप्न आया हो तो पुनः सो जाना चाहिए और किसी को नहीं कहना चाहिए।
- सम धातु (वायु, पित्त और कफ का प्रमाण बराबर हो), प्रशान्त, धर्मी, नीरोग और इन्द्रिय-विजेता पुरुष को शुभ-अथवा अशुभ स्वप्न फलदायी बनते हैं।
स्वप्न नौ प्रकार से आते हैं- (१) अनुभव से (२) श्रवण से (३) देखने से (४) प्रकृति के विकार से (५) स्वभाव से (६) चिन्ता से (७) देव-प्रभाव से (८) धर्म-कर्म के प्रभाव से और (९) पाप की तीव्रता से। . प्रारम्भ के छह कारणों से आये हुए स्वप्न, शुभ हों अथवा अशुभ, निष्फल माने गये हैं। अन्तिम तीन कारणों से आये हुए स्वप्न अवश्य फलदायी होते हैं।
• रात्रि के प्रथम प्रहर में आया हा स्वप्न एक वर्ष में, दूसरे प्रहर में आया हुआ स्वप्न छह मास में, तीसरे प्रहर में आया हुआ स्वप्न तीन मास में, सूर्योदय से दो घड़ी पूर्व पाया हुआ स्वप्न दस दिन में और सूर्योदय के समय देखा गया स्वप्न शीघ्र फलदायी बनता है।
. एक ही साथ अनेक स्वप्न देखे हों, दिन में स्वप्न देखा हो, आधि-व्याधि तथा मल-मूत्र की पीड़ा से उत्पन्न स्वप्न देखा हो तो वे सब स्वप्न निरर्थक गिने गये हैं।
पहले अशुभ स्वप्न देखा हो और बाद में शुभ स्वप्न देखा हो अथवा पहले शुभ स्वप्न देखा हो और बाद में अशुभ स्वप्न देखा हो तो अन्तिम स्वप्न का फल समझना चाहिए। खराब स्वप्न देखा हो तो शान्तिकर्म करना चाहिए।
_ 'स्वप्नचिन्तामणि' ग्रन्थ में कहा है-अशुभ स्वप्न देखने के बाद, थोड़ी भी रात्रि शेष हो तो पुनः सो जाना चाहिए। वह खराब स्वप्न किसी को भी नहीं कहना चाहिए। इस प्रकार करने से वह स्वप्न निष्फल हो जाता है।
खराब स्वप्न देखने के बाद जो प्रातः जिनेश्वर भगवन्त का ध्यान करता है, अथवा उनकी स्तुति करता है, अथवा नमस्कार महामंत्र को याद करता है उसके खराब स्वप्न का फल नष्ट हो जाता है।
जो परमात्मा की पूजा. करता है। अपनी शक्ति अनुसार तप करता है और सतत धर्म में लीन रहता है, उसको आया दुःस्वप्न भी सुस्वप्न का फल देता है ।
___ देव-गुरु, तीर्थ और प्राचार्य भगवन्त के नाम-स्मरणपूर्वक जो सोता है, उसे कभी खराब स्वप्न नहीं आते हैं।