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सं०
क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय
श्लोक सं० सं०
सं० ८ प्रत्येक वनस्पतिकाय का वर्ण, १६० ३ स्थान के विषय में (द्वार-२) ११ गंध तथा भेद
४ पर्याप्ति के विषय में (द्वार-३) १४ ६ अठारह भार वनस्पति का प्रमाण१६८ | ५ योनि संख्या तथा कुल संख्या १६ १० बादर पृथ्वीकाय आदि का स्थान१७० (द्वार-४-५) (द्वार-२)
६ योनि स्वरूप (द्वार-६) ११ पर्याप्ति, योनी संख्या, कुल २१३ भव स्थिति (द्वार-७) संख्या (द्वार ३-४-५)
८ काय स्थिति (द्वार-८) १२ योनि संवृतत्व (द्वार-६) २२४ ६ शरीर, संस्थान, देहमान, २६ १३ भव स्थिति (द्वार-७) २२६ समुदघात (द्वार-१७-१६). १४ काय स्थिति (द्वार-८) २३६ १० गति-आगति (द्वार-१३-१४) ३० १५ शरीर के विषय में (द्वार-६) २५१
११ उपपात और च्यवन का विरह ३२ १६ संस्थान (द्वार-१०) । २५२ १२ अन्तर भव (द्वार-१५) ३४ १७ देहमान के विषय में (द्वार-११)२५४ |
१३ समय सिद्धि (द्वार-१६) ३५ १८ समुदघात के विषय में(द्वार-१२)२६२
१४ लेश्या, दिगाहार तथा संघयण ३६ १६ गति के विषय में (द्वार-१३) २६३
(द्वार-२३-२६) २० आगति के विषय में (द्वार-१४)२६६
| १५ कषाय, संज्ञा तथा इन्द्रिय ३६ २१ अन्तराप्ति, समय सिद्धि तथा · ३०७
(द्वार-२०-२२) लेश्या के विषय में
१६ संज्ञा, वेद, दृष्टि तथा ज्ञान के ३८ (द्वार १५-१६-१७)
विषय में (द्वार-२३-२६) २२ दिगाहार के विषय में (द्वार-१८)३१३
१७ दर्शन, उपयोग, आहार . ४५ २३ गुण स्थान तथा योग के विषय में३१५
(द्वार-२७-२६) (द्वार-३०-३१)
१८ गुण स्थान तथा योग ५१ २४ प्रमाण के विषय में (द्वार-३२) ३१७
(द्वार-३०-३१) २५ अल्प-बहुत्व के विषय में (द्वार-३३) २६ दिगाश्रयी अल्प-बहुतत्व ३३४
१६ प्रमाण (द्वार-३२)
२० अल्प-बहुत्व (द्वार-३३) (द्वार-३४) २७ अन्तर के विषय में (द्वार-३६) ३५६
२१ दिगाश्रयी अल्प-बहुत्व
(द्वार-३३) छठा सर्ग
२२ अन्तर (द्वार-३५) १ विकलेन्द्रिय के विषय में १२३ पंचेन्द्रिय जीवों का स्वरूप ६२ २ भेद के विषय में (द्वार-१) - २ | २४ जलचर जीवों के विषय में ६४
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