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काम
जिल्दका-१) डाकखर्च
अनेकान्त
[वर्ष १, किरण ३ कविवर श्री रवींद्रनाथ अकुरकी लीजिये,
शुरूसे आज तककी संपूर्ण कहानियोंका संग्रह | जल्दी छप गया!
_ "गल्प-गच्छ” । मंगाइये! 'गल्पगच्छ' का पहला | के नामसे कई भागों में प्रकाशित होगा । पहला भाग गल्पगच्छ"का - भाग छपकर तैयार हो | छप कर तैयार हो गया है । द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ भाग छपकर तैयार : गया है।
और पंचम आदि भाग क्रमशः प्रकाशित होंगे। गया है। मूल्य-१० श्रीरवीन्द्रनाथ ठाकुरने अपने सम्पूर्ण प्रन्थोंका हिन्दी अनुवाद |
मूल्य-१० | प्रकाशित करनेका अधिकार केवल 'विशाल-भारत' को ही दिया |
जिल्दकाहै, इसलिये उनकी और-और पुस्तकें भी यहींसे प्रकाशित होंगी।
डाकखर्च"कुमुदिनी" उपन्यास भी शीघ्र प्रकाशित किया जायगा। पता:-"विशाल-भारत" पस्तकालय,
१२० । ", अपर सरकुलर रोड, कलकत्ता । * वीरजयंती उत्सव *
"जनजीवन हर सालकी तरह इस वर्ष श्रीमहावीर जयंती उत्सव जैनसमाज के सुधार तथा धर्म की उमतिमें ११, १२ और १३ अप्रैल '३० या चैत्र शुक्ला त्रयोदशी, विघ्नरूप होने पासी प्रवृतियों और उनको दूर चतुर्दशी और पूर्णिमा श्रीवीरनिर्वाण संवत् २४५६ के करने के सतर्क उपायों को निर्भयता के साथ दिनोंमें उसी समारोह और सजधजके साथ मनाया जा- प्रकाशित करने वाले गजराती-हिन्दी पाक्षिक पत्र यगा। आपसे निवेदन है कि कृपा कर उस अवसर के 'जैनजीवन' के माजही ग्राहक बनो । वार्षिक मूल्य अनुकूल अपनी कुछ रचना निम्न विषयोंमेंसे किसी एक तीन रूपये। पर भेजने का अनुग्रह करें। श्राशा तो यह है कि आप व्यवस्थापक "जैनजीवन", पना । स्वयं उस अवसर पर पधार कर और उत्सवमें शामिल होकर धर्म प्रभावना में भाग लेंगे और हमारी उत्साह
संस्कृत-प्राकृत अनोखे ग्रंथ वृद्धि करेंगे, किन्तु यदि यह संभवनीय न हो तो कृपाकर प्रमाणमामाला. पृ. स. १२
E प्रमाणमीमांसा पृ. सं. १२० रु १ लिखे हुऐ शब्द अवश्य भेजें। उनकी हमें प्रतीक्षारहेगी। सचित्र तस्वार्थसूत्र सभाग्य पृ स. २४१ रु.२॥
अपने अनुग्रही लेखकों और कवियों की कृतियां स्थाबादमंजरी पृ. स. ३१२ रु. २ के उपलक्ष्य में मित्रमंडल उन्हें मानपत्र अर्पण कर
स्याहादरलाकर प.सं भाग १.२-३-४ रु.॥ सम्मानित करना अपना कर्तव्य समझेगा।
सूयगडं (सूत्रकृतांग) सनियुकि प.सं. १५२ रु १ कृपाकर अपनी कति ३१ मार्च'३० तक अवश्यभेजने प्राकृत व्याकरणपू.सं. २०२ का ध्यान रखें। विश्वास है कि हमें निराश न करेंगे। पप-स्थादरलाकर, औपपातिक सूत्र विषय-विश्वप्रेमी महावीर जैनवीरोंका इतिहास
माईतमत-प्रभाकर कार्यालय हमारी शिक्षा पद्धति हमारे उत्थानकामार्ग
भवानी पेठ, पूना ०२