Book Title: Anekant 1930 Book 01 Ank 01 to 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 638
________________ पाश्विन, कार्तिक, वीरनि सं०२४५६] श्राश्रमका स्थान परिवर्तन ६५३ अाश्रमका स्थान-परिवर्तन समन्तभद्राश्रमकी आर्थिक परिस्थिति, समाजके अ- १९३० को प्रबंधकारिणी समितिकी एक मीटिंग बलाई से सहयोग और स्थानीय भाइयोंकी भारी उपेक्षाको गई, जिसमें मंत्री, सहायक मंत्री और अधिष्ठाता थादेखते हुए, रायबहादुर साहू जगमंदरदासजी जैन श्रमके अतिरिक्त ला० मक्खनलालजी ठेकेदार (प्रधान रईसनजीबाबाद, कोषाध्यक्ष वीर-संवकसंघ'ने अाश्रम संघ ) और ला० सरदारीमलजी देहली ऐसे पाँच सके स्थान परिवर्तनका एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। साहू दस्य उपस्थित हुए । बाब माईदयालजी बी.ए. सदस्य श्रेयांसप्रसादजीने उसका अनुमोदन तथा बाब भोला- तथा ला० जौहरीमलजी सर्गफ देहली भी मीटिंग नाथजी मंत्री और ला० पन्नालालजी सहायक मंत्रीने समय उपस्थित थे। आश्रमकी परिस्थिति और आगत उसका समर्थन किया। इस लिये प्रस्ताव छपाकर एक सम्मतियों पर विचार करते हुए प्रबन्धकारिणी सम्मति पत्रके साथ संघके सब सदस्योंके पास सम्मतिके वास्ते ने अपनी सर्वसम्मतिसे उक्त प्रस्तावको ज्योंका त्यों भेजा गया। २१ सदस्योंकी सम्मतियाँ और इसके पास किया। इस प्रकार यह प्रस्ताव संघके बहुमत और अनुकूल प्राप्त हुई, जिनके नाम इस प्रकार है :- प्रबन्धकारिणी ममितिकी सर्वसम्मतिसे पाम किया १ पंदेवकीनन्दनजी कारंजा, २ बा० माईदयाल- गया, जो इस प्रकार हैजी बी. ए. , ३ ब्रकुँवर दिग्विजयसिंहजी, ४ बा० प्रस्ताव चेतनदासजी बी.ए., ५ ला० ज्योतिप्रसादजी देवबन्द, ___ संस्थाके जिस विशेष लाभको लक्ष्यमें रख कर ६ मुनि कल्याणविजयजी, ६५० बेचरदासजी अहम दाबाद, ८ सेठ नमिवन्द बालचन्दजी उम्मानाबाद, ९ 'समन्तभद्राश्रम' के लिये देहलीका स्थान पसन्द किया पं०नाथरामजी प्रेमी, १० ब्रशीतलप्रसादजी,११ बा. गया था, वह देहलीक भाइयोंकी आम तौर पर इसमे जयभगवानजी वकील पानीपत, १२ बाबा भागीरथजी उदासीनता और उनके इतिहास, साहित्य तथा सिद्धान्त संवाक एस काममि कोई खास दिलचस्पी नलेनादिक वर्णी, १३ बा० अजितप्रसादजी एम. ए. १४ ला. कुन्थदासजी बाराबंकी, १५ बारामकिशनदासजी श्र० Me कारण पूरा नहीं हो सका और न इन हालों निकट. इंजिनियर अमरोहा, १६ ला० भूकनमरनजी अमरोहा, भविषयमें उसके पूरा होने की कोई आशा ही जान पढ़ती है। १७ बा० कन्हैयालाल जी जैसवाल बाँदीकुई, १८ मुंशी श्राश्रमका मकान जो अभीतक- वस्तुतः तो एक भंवरलालजी नई सगय, १९ ला० दलीपसिंहजी का सालके लिये-विना किसी किरायके था, अब उसके गजी देहली, २० पं० महावीरप्रसादजी देहली, २१ लिये चालीम रुपये मामिक किगयेकी माँग है और बा० उमरावसिंहजी देहली। सिर्फ एक सम्मति भाई मूलचन्द किशनदासजी खास देहली शहर में पाश्रमकी वर्तमान स्थितिके योग्य कापडियासूरतकी प्रतिकूल आई। और मदस्योंकी कोई मकान पचास-साठ रुपये मासिकस कम किराये पर नहीं मिल मकता । और इस अतिरिक्त खर्चको प्रासम्मति आई नहीं। श्रागत सम्मतियों पर विचार ' करके प्रस्तावका निर्धार करनेके लिये २६ अक्तूबर सन् श्रमकी वर्तमान आर्थिक स्थिति महन नहीं कर सकती, जो पहलेसे ही चिन्तित-दशामें है। * मीटिंग के बाद और भी कुछ सदस्योंको सम्मतियां प्रस्ताव जब कि बाहरसे भी ऐसी कोई खास सहायता के अनुकूल प्राप्त हुई हैं; जैसे वर्णी दीपचन्दनी, ५० छोटेलालजी पाश्रमको नहीं मिल रही है-- कहींसे कोई प्रोत्सामहमदाबाद, बा रामप्रसादजी सवग्रोवरसियर, एटा । हन या अभिवचन ही है-जिसके आधार पर उसे

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