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1999 में मेले में 99999995
तौलवदेशीय प्राचीन जैनमंदिर
ले० - श्री०पं० लोकनाथजी शास्त्री, मूड़विद्री
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rain की दूसरी किरणमें मूडबिद्रीके १८ मंदिरों में से (१) गुरुबस्ति तथा (२) होसबस्ति नाम के दो प्रधान मंदिरोंके बारेमें कुछ परिचय दिया गया था, फिर क्रम से लेख देने में मुझे स्वास्थ्याभाव के कारण विलंब होगया । अतः इस बार शेष मंदिरों का परिचय संक्षेप से दिया जाता है:
(३) बडगवस्ति- उत्तर दिशामें होनेके कारण इस मंदिर को 'बडगस्त' कहते हैं। यह भी तीन सौ वर्ष पहले का शिलामय मंदिर है। यहाँ पर श्वेतपाषाणमय खङ्गासन तीन फुट ऊँची श्रीचन्द्रप्रभ भगवान की मूर्ति प्रतीब मनोश है। साथ ही, इस मंदिर के अंगण में शिलामय एक मानस्तंभ भी है। (४) शेट्रबस्ति - यहाँ धातुमय पद्मासन मूल प्रतिमा श्रीवर्धमान भगवान् की है। इस मंदिरके प्राकार में एक दूसरा मंदिर है जिस में कृष्ण पाषाणमय बस भगवान् की मूर्तियाँ बहुत ही चित्ताकर्षक हैं। इसकी दोनों तरफ शारदा और पद्मावती देवी की मूर्तियाँ विराजमान हैं। इसको यहाँ के पंचोंने बनवाया है।
(५) हिरेषस्ति - इस मंदिर में श्रीशांतिनाथ भगवान की मूल प्रतिमा है। मंदिर के प्राकार के अंदर पद्मावती देवी का मंदिर है, जिसमें मृतिका (मिट्टी) से निर्मित चौबीस भगवान् की मूर्तियाँ तथा सरस्वती और पद्मावती की मूर्तियाँ भी
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[वर्ष १, किरण ४
बहुत ही मनोज्ञ हैं । इस प्रकार की मृण्मय मूर्तियाँ अन्यत्र कहीं पर देखने में नहीं आई। इस
कारीगर बहुत सुंदर काम किया है। इस मंदिर को "अम्मनवरबस्ति" अर्थात् पद्मावती देवी का मंदिर भी कहते हैं ।
(६) बेटफेरीबस्ति - यह विशाल मंदिर सजावट के साथ सुंदर है। इसमें श्रीवर्धमान स्वामीकी पाँच फुट ऊँची पद्मासनकी मनोहर प्रतिमा शिलामय है। इसको भी यहाँ के श्रावकोंने बनवाया था । (७) कोटिबस्ति - इस मंदिर को 'कोटिश्रेष्ठी' नामक
सेठ ने बनवाया था । यहाँ श्रीनेमिनाथ भगवान की खड्गासन मूलनायक प्रतिमा एक फुट ऊँची है और अन्यान्य प्रतिमाएँ भी बहुत ही मनोज्ञ हैं । इस मंदिरका दो चार वर्षके पहले यहाँ के राजवंशीय श्रीमान चौटर धर्मसाम्राज्यजीने जीर्णोद्धार कराकर पंचकल्याण महोत्सव भी कराया था। अभी भी इसका सब इंतजाम वेही करते रहते हैं। यह मंदिर देखनेमें रमणीय तथा स्वच्छता पूर्वक है । (८) विक्रमसेद्विबस्ति - यह मंदिर भी शिलाम है । इस भवन की विक्रम नामके सेठने निर्माण 1 कराया था। इस में आदिनाथ भगवान् की मूल प्रतिमा है और मंदिर के प्राकार के अंदर चौबीम भगवान् का एक चैत्यालय है, जिसमें धातुमय २४ मूर्तियाँ श्रतीव मनोश हैं। और मूर्तियाँ सभी