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आश्विन,कार्तिक, वीरनि०सं०२४५६]
प्रार्थना ओंके पास समय है और न अफसरोंको फरसत। परंतु ३ कृषि सुधार यह हर्षका विषय है कि अब देशमे जागतिकी लहर ४ आर्थिक सुधार चारों तरफ उठ रही है और समस्त देश उन्नतिके लिए ५ सामाजिक सुधार व्याकुल हो रहा है । इस लिये ऐसे समयमें यह बात ६ मादक वस्तुओंका प्रतिबन्ध बहुत आवश्यक है कि देहातकी समस्याएँ सोची जायें
अगले पृष्ठोंमें इन्हीं समस्याओं पर अच्छी तरह उन पर गहरा विचार किया जाय-और फिर उनको
का प्रकाश डाला जायगा ।
म हल करनेका समुचित प्रयत्न किया जाय । देहात-सम्बंधी समस्याएँ निम्न लिखित हैं:१ देहातकी सफाई
लग्वककी 'दहात-सुधार' नामक अप्रकाशित पुस्तकका प्रथम • रोगोंकी रोक थाम तथा स्वास्थ्यरक्षा परिच्छेद ।
प्रार्थना [ लेखक-श्री०चौ० वसन्तलालजी ]
हृदय हो प्रभु, ऐसा बलवान । विपदाएँ घनघोर घटासी, उमडे चहुँ दिशि श्रान । पर्वत-ऊपर-पतित बिन्दु-सी, झेलू मन सुख मान ॥१॥ असफल होकर सहम बार भी,मनको क न म्लान । लक्षगणित उत्साह धार कर, करूँ कार्य प्रण ठान ॥२॥ पूर्ण प्रात्मकर्तव्य करें या, खुद होऊँ बलिदान । सन्मुख ज्वलित अग्नि भी लख कर, हट न शंका ठान ॥३॥ करो स्तवन परिहास कगे या, यह संसार अनान । सत्य मार्ग को रंच न छोडूं , भय नहीं लाऊँ ध्यान ॥ ४ ॥ विकसित आत्मस्वरूप करूँ निज, बलका अतुल निधान । तनबल, धनबल तणवत समऊं, धरूं नहीं अभिमान ॥५॥
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