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चैत्र, वीर निःसं०२४५६]
राजा खारवेल और उसका वंश
राजा खारवेल और उसका वंश
[लेखक-श्री० बाब कामताप्रसादजी ]
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'अनेकान्त' की ४ थी किरणमें ( पृष्ठ २२६-२२९) चकी हैं; जैसे कि शिखिरजी केसके 'जजमेन्ट से प्रकट
उक्त शीर्षकके नीचेमुनि कल्याणविजयजी (श्वे०) है । अतएव उक्त थेरावलीके परिचयको बिलकुल गुन ने राजा खारवेलके वंशका कुछ परिचय कराया है। रखते हुए उसकी कुछ बातोंको बिना कोई विशेषशोधउसमें मान्य लेखकने हाथीगुफाके लेखमें आये हुए परिशोध किये ही एक दम प्रकट कर देना कुछ ठीक 'चेतवसवधनस' (अब इस वाक्य को मि० जाय- नहीं जंचता । वह थेरावली किस प्राचार्य ने किस सवाल ने 'चतिराजवसवधनेन' पढ़ा है और उन्हें जमानेमें, लिखी, उसकी प्रतियाँ कहाँ कहाँ किस रूपमें 'चेति' अथवा 'चेदि' वंशज बताया है ) वाक्य से जो मिलती हैं और प्रन्थकं जाली न होनमें कोई संदेह तो विद्वान उन्हें 'चैत्र' अथवा 'चेदि'वंशज बतलाते हैं, उनसे नहीं, ये सब बातें जब तक प्रकट न हों तब तक इस अहसमतता प्रकट की है, क्योंकि मनिजी को कहीं थरावली पर विश्वास किया जाना कठिन है। निम्न बातों म एक 'हिमवंत-थरावली' नामक श्वेताम्बर पटावली को देखते हुये तो यह थेरावली जाली प्रतीत होती है मिल गई है और उस में राजा खारवेल को लिमिळ अथवा उस पर जाली होने का बहुत बड़ा संदेह पैदा विसंघके राष्ट्रपति राजा चेटकका वंशज प्रगट किया
होता है.है ! इस थेरावलीकी प्रामाणिकता और प्राचीनता (१) थरावलीमें गजा चंटककं वशका जो परिच. विषय में न तो मी न
य दिया है वह अन्यत्र कहीं नहीं मिलता। कमसे कम मंपादक महोदयने ही कुछ छानबीन की है। इस साहि- दि
दिगम्बर जैनशाकों में उमका उल्लेख नहीं है और. यिक डाकेजनीके जमानमें इस प्रकार एक शिलालेग्यकी जहाँ तक मुझे श्वेताम्बर शास्त्रोका परिचय है मैं कहने सब बातोंसे मेल खानवाल साहित्यका यकायक निकल - Thes (Fernmens) will uppear to be पाना, कुछ आश्चर्यकी बात नहीं है । सी भी उस दशा uatlabi ou the fuce of then and ti) have म जब कि श्वेताम्बर और दिगम्बर संप्रदायों में पवित्र been gotup for the purpose of disputes नार्थोके नाम पर झगड़े चल रहे हैं और श्वेताम्बर म
P. H. Juig. P 32 प्रदायकी ओरसे पहले भी जाली दस्तावेजें पंशकी जा एक विद्वानका जा बाते जिस रूपमें कहीं से प्रामक .
उसस्प विशेष अनुसंधानको उत्तेजन दनक लिय प्रकट कर देना * बानगीन चल रही है। नतीजा निकलने पर प्रकट किया ते कुछ मापत्ति के योभ्य मालूम नहीं होता। विशेष जांच-पाताल जायगा । अभी तक मूल अन्य या उसका अनुवाद भी प्राप्त न अधिक समय तथा साधन-सामग्रीकी अपेक्षा रखती है और यह प्रायः को सका।
बादको भनेक ठिानेकि योगसेहो पाती है। -सम्पादक
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