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अनेकान्त
वर्ष १, किरण ६, ७ लोग सुनने लगे हैं। दो-एक सत्यान्वेषी वहाँ तक पहुँचते हैं और वापस आकर ममाजके एक कोनेमें उस " श्रीवीरकी अमली जयन्ती की आलोचना करते हैं । मगर उसे बुला नहीं सकते। उन्हें अपने हृदयमें बल नहीं मिलता-"है जरूर" इस
In [लेखक - श्री०पं० अर्जुनलालजी सेठी] ... बातका भी उन्हें कुछ कुछ आभास मिला है। लेकिन
श्रीवीरकी जयन्ती श्रमली मनानी होगी। वे इतने थोड़े हैं और क्षेत्र इतना बड़ा है कि उसे ढूंढने
तकलीद' उनकी हमको करके बतानी होगी ।। १।। में असमर्थता प्रकट कर रहे हैं।
एकान्त भ्रम तअस्सुबर जड़से उखाड़ फेंकें । इन थोड़ोकी मख्या बढ़ानी चाहिए। और यह हो
सत्यार्थियोंकी हरजा संगति बनानी होगी ॥२॥ मकमा है महात्माजीके आश्रमकी भान्ति किसी वैज्ञा. फिकों की बन्दिशों में बरबाद हो चके हैं । निक और मन्य खोजी संस्था मे ही।
मत-पंथकी अटक हठ खुद ही हटानी होगी ।।शा "ममन्तभद्राश्रम''-हॉ. 'समन्तभद्राश्रम' मठ-मन्दिरोंकी बढ़ती मूढों की वेषपूजा । -क्योंकि नममें वह गेनवाला बालक अश्वप्रौढ होकर इन रूढ़ियों में फैंमती जनता बचानी होगी ।। ४ ।। दृढताके साथ रो रहा है और वह गेना अब हृदयसे सिद्धान्त-तत्त्व-निर्णय गणठाणका चढ़ाना । ही है, उसमें आवाज नहीं है- "ममन्तभद्राश्रम" उपयोग-शक्ति अपनी इनमें लगानी होगी ।। ५ ।। अपनेको ऐसी संस्था सिद्ध कर सकता है, और जहर सब जीव मोक्ष सुखके हकदार हैं बराबर । कर सकता है।
यह साम्यवाद-शिक्षा पढ़नी-पढ़ानी होगी ॥ ६ ॥ "रुपये और कार्यकर्ता चाहिां ।" । छीनं न प्राण-सत्ता कोई प्रमाद-वशसे ।
हा, जरूर चाहिएँ । इनका संग्रह कैसे हो-इस जीवो की, यह व्यवस्था हमको जमानी होगी।॥७॥ पर विचार कर निर्णय पर पहुंचना है और उस निर्णय परतन्त्र बन्धनोंसे सब मुक्त हो रहेंगे। से काम लेकर निर्णयको निर्णय सिद्ध करना है । यह
भारत-वसुन्धरा की मेवा बजानी होगी ॥ ८॥ काम बड़ा कठिन है, लेकिन फिर भी हमें इसे सरल
है वीर-धर्म-शासन पुण्यार्थ क्रान्तिकारी। बना कर करना जरूर है।
घर घर में ज्योति 'सेठी' इसकी जगानी होगी ॥५॥ भावी समाजको-हमारी सन्तानको-हमे श्रादमी बनाना है, जैनी बनाना है, धर्म-परीक्षक और धर्म-पालक बनाना है। क्योंकि हमें जो कहना है, जिस पटरी
१ अनुकूल प्रवृत्ति. २पक्षपात. ३ जगह जगह ४ जाति अ. पर चलाना है उसका ज्ञान तो सबसे अच्छा भावी
जातियों के बन्धना में। समाजको ही होना सम्भव है-और मासान भी।" ।
* यह कविता खुद सेठीजीके द्वारा मालियरकोटवा की गत महावीरजयन्तीके उत्सव पर ता."मोल सन् १९३.कोपी गई थी। और महाक द्वारा 'अनेकान्त बलयको प्राप्त हुई है।