Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Hemchandraji Maharaj, Amarmuni, Nemichandramuni
Publisher: Atmagyan Pith
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सूत्रकृतांग सूत्र
(ससीम--परिमित), और नित्य है, यह व्यास आदि धीरपुरुषों का अतिदर्शन है, विशेष कथन है।
व्याख्या
लोकवाद को विचित्र मान्यताएँ
पूर्वगाथा में लोकवाद को सुनने के अनुरोध पर शास्त्रकार ने लोकवाद को विपरीतमतिरचित बताकर अविवेकी मतों का ही साथी बताया था। इस गाथा में लोकजाद की मान्यताओं के कुछ नमूने शास्त्रकार प्रस्तुत कर रहे हैं । अणंते निइए लोए'.... किन्हीं का यह मत है कि लोक अनन्त है । अनन्त का मतलब है--जिसका अन्त नहीं होता । आशय यह है कि पृथ्वी, जल, तेज, वायु, वनस्पति, तथा एकेन्द्रिय से लेकर पञ्चेन्द्रिय तक जितने भी प्राणी है---उन सबको मिलाकर लोक कहते हैं । इस प्रकार के लोक का कभी निरन्वय नाश नहीं होता। अर्थात इस जन्म में जो जैसा है, वह परलोक में भी, यहाँ तक कि सदा काल के लिए वैसा ही उत्पन्न होता हैं। पुरुप पुरुष ही होता है, स्त्री स्त्री ही होती है । अन्वय-~-वंश (नस्ल) के रूप में कभी उसका नाश नहीं होता। अथवा यह लोक अनन्त है अर्थात् इसकी कालकृत कोई भी अवधि नहीं है, यह तीनों कालों में विद्यमान रहता है। लथा यह लोक नित्य है, अर्थात् उत्पत्ति-विनाशरहित, सदैव स्थिर एवं एकसरीखे स्वभाव वाला है । एवं यह लोक शाश्वत है, अर्थात् बार-बार उत्पन्न नहीं होता, सदैव वर्तमान रहता है । यद्यपि छ यणुक आदि कार्यद्रव्यों (अवयवियों) की उत्पत्ति की दृष्टि से यह शाश्वत नहीं है, तथापि कारणद्रव्य परमाणुरूप से इसकी उत्पत्ति कदापि नहीं होती इसलिए यह शाश्वत है। क्योंकि उनके मतानुसार काल, दिशा, आकाश, आत्मा और परमाणु नित्य हैं।
____ अंतवं णिइए लोए'- किन्हीं पौराणिकों के मतानुसार यह लोक अन्तवान् है। जिसका अन्त यानी सीना हो, उसे अन्तवान कहते हैं। यानी लोक ससीम है, परिमित--सीमिल है। पौराणिकों बताया है कि 'यह पृथ्वी सप्तद्वीप-पर्यन्त है। लोक तीन हैं। चार लोकसंनिवेश है,'' इत्यादि रूप में लोकसीमा दृष्टिगोचर होती है। तथा इस प्रकार को परिमाण वाला लोक नित्य है, क्योंकि प्रवाह रूप से यह आज भी दिखाई देता है।
इति धीरोऽतियासइ .....इसका आशय यह है कि लोकवाद इस प्रकार के परस्पर विरोधी और विवादास्पद मन्तव्य व्यास आदि के समान धीरपुरुष का
१. सप्तद्वीपा वसुन्धरा...' इत्यादि सिद्धान्त पुराण में बताया है।
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