Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Hemchandraji Maharaj, Amarmuni, Nemichandramuni
Publisher: Atmagyan Pith
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सूत्रकृतांग सूत्र
गिलहरी, साँप आदि), पोतज (बच्चे के रूप में पैदा होने वाले हाथी, शरभ आदि), रसज (दही, सौवीर आदि में रसचलित होने पर उत्पन्न होने वाले जीव), संस्वेदज (पसीने से उत्पन्न होने वाले जूं, खटमल आदि), उद्भिज्ज (टिड्डी, मेंढक, खंजरीट आदि प्राणी) तथा जरायुज (चमड़ी की झिल्ली से आवेष्टित होकर पैदा होने वाले मनुष्य, गाय आदि हैं। ये सभी द्वीन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय तक के त्रसकायिक प्राणी हैं।
हेयोपादेयविवेकी विद्वान् साधु सर्वप्रथम ज्ञपरिज्ञा से इन पट्काय के जीवों को भलीभाँति जान ले । साथ ही प्रत्याख्यानपरिज्ञा से मन-वचन-काया से जीवों का घात करने वाले आरम्भ का तथा इनके परिग्रह का -- इन्हें ममत्वपूर्वक रखने कात्याग करे।
मूल पाठ मुसावायं बहिद्धं च, उग्गहं च अजाइया सत्थादाणाइं लोगंसि, तं विज्ज परिजाणिया ॥१०॥ पलिउंचणं च भयणं च, थंडिल्लुस्सयणाणि य । धूणादाणाइं लोगंसि, तं विज्जं परिजाणिया ॥११॥ धोयणं रयणं चेव, वत्थीकम्मं विरेयणं वमणंजणपलीमंथं, तं विज्ज परिजाणिया ॥१२॥ गंधमल्लसिणाणं च, दंतपक्खालणं तहा परिग्गहित्थिकम्मं च, तं विज्जं परिजाणिया ॥१३॥ उद्दे सियं कीयगडं च, पामिच्चं चेव आहडं । पूयं अणेसणिज्जं च, तं विज्जं परिजाणिया ॥१४॥ आसूणिमक्खि रागं च, गिद्धवघायकम्मगं उच्छोलणं च कक्कं च, तं विज्जं परिजाणिया ॥१५॥ संपसारी कयकिरिए, पसिणायतणाणि य । सागारियं च पिडं च, तं विज्ज परिजाणिया ।।१६।। अठावयं न सिक्खिज्जा, वेहाईयं च णो वए । हत्थकम्मं विवायं च, तं विज्ज परिजाणिया ॥१७॥
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