Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Hemchandraji Maharaj, Amarmuni, Nemichandramuni
Publisher: Atmagyan Pith
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वैतालीय : द्वितीय अध्ययन--प्रथम उद्देशक
२८७
घट कब फूट जाएगा, यह निश्चित नहीं है। इस बात को भगवान् ऋषभदेव अपने पुत्रों के समक्ष दृष्टान्त सहित प्रस्तुत करते हैं.---'डहरा बुड्ढा य"।' आशय यह है कि मृत्यु किसी भी प्राणी को नहीं छोड़ती। चाहे वह बालक और विशेषतः राजा का पुत्र ही क्यों न हो, बूढ़े को तो मृत्य छोड़ ही नहीं सकती। चाहे वह कितनी ही जड़ी-बूटियाँ, रसायन या भस्म खा ले, चाहे वह तलघर में, पर्वत की गुफा में या पाताल में कहीं भी जाकर छिप जाय, चाहे वह वृद्ध कायाकल्प ही क्यों न कर ले । मृत्यु उसे भी नहीं छोड़ती । मृत्यु पर उत्तम पुरुषों के सिवाय किसी ने विजय प्राप्त नहीं की । वह तो गर्भस्थ शिशु को भी आयुक्षय हो जाए तो ले जाती है। अथवा शास्त्रकार का भगवान ऋषभदेव के कथन को उटंकित करने का आशय यह भी हो सकता है कि साधारण मनुष्यों की आयु क्षणभंगुर है । आयुष्य की डोरी कब टूट जाएगी, यह उसे पता नहीं होता । अतः बालक, वृद्ध, युवक या गर्भस्थ सभी मानव एक न एक दिन इस शरीर को (उपलक्षण से शरीर से सम्बद्ध पुत्र, कलत्र, धन, धरा, धाम आदि सबको) छोड़कर चल देते हैं। जैसे बटेर पक्षी पर बाज हमला करके उसके जीवन को नष्ट कर देता है, वैसे ही मृत्यु आयुक्षय होते ही मनुष्य पर
ट पड़ती है और उसके जीवन को नष्ट कर देती है। इसे ही शास्त्रकार भगवान ऋषभदेव के शब्दों में कहते हैं --'सेण जह"आउक्खयंमि तुट्टई ।'
पुत्र के द्वारा पिण्डदान या तर्पण करने पर माता-पिता को सुगति प्राप्त हो जाती है, इस भ्रमपूर्ण मान्यता का खण्डन करते हुए शास्त्रकार अगली गाथा में भगवान् ऋषभदेव के शब्दों में कहते हैं---
मूल पाठ मायाहिं पियाहि लुप्पइ, नो सुलहा सुगई अ पेच्चओ । एयाइं भयाइं पहिया, आरंभा विरमेज्ज सुव्वए ॥३॥
संस्कृत छाया मातृभिः पितृभिलप्यते, नो सुलभा सुगतिश्च प्रेत्य । एतानि भयानि प्रेक्ष्य, आरम्भाद् विरमेत सुव्रतः ।।३।।
अन्वयार्थ (मायाहि पियाहि) कोई व्यक्ति माता-पिता आदि के मोह में पड़कर उन्हीं के कारण से (लुप्पइ) मार्ग से भ्रष्ट हो जाते हैं, संसार-भ्रमण करते हैं। (पेच्चओ) उनके मरने पर (परलोक में) (सुगई) सुगति-मनुष्यगति या देवगति, (नो सुलहा) सुलभ नहीं होती, आसानी से प्राप्त नहीं होती। (सुव्वए) सुव्रत पुरुष (एयाई
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