Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Hemchandraji Maharaj, Amarmuni, Nemichandramuni
Publisher: Atmagyan Pith
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कुशील-परिभाषा : सप्तम अध्ययन
मूल पाठ इहेग मूढा पवयति मोक्खं, आहारसंपज्जणवज्जणेणं । एगे य सीओदगसेवणेणं, हुएण एगे पवयंति मोक्खं ।।१२॥
संस्कृत छाया इहैके मूढाः प्रवदन्ति मोक्षं आहारसम्पज्जनवर्जनेन । एके च शीतोदकसेवनेन, हतेनैके प्रवदन्ति मोक्षम् ॥१२।।
अन्वयार्थ (इह) इस जगत् में अथवा इस मोक्ष के सम्बन्ध में (एगे) कई (मूढा) मूढ़ लोग (आहार संपज्जणवज्जणेणं मोक्खं पवयंति) आहार के रस का पोषक नमक छोड़ देने से मोक्ष बताते हैं, (एगे य सीओदगसेवणेणं) कई लोग शीतल (सचित्त) जल के सेवन से मोक्ष मानते हैं। और (एगे हुएण मोक्खं पवयंति) कई लोग तो अग्नि में होम करने से मोक्ष बतलाते हैं ।
भावार्थ इस संसार में कई मूढ़ लोग आहार के रस का पोषक नमक छोड़ देने से मोक्ष मानते हैं, कई ठंडे (कच्चे) पानी के सेवन से मोक्ष बताते हैं एवं कई लोग आग में घी का होम करने से मोक्ष की प्राप्ति बताते हैं ।
व्याख्या
ये सस्ते मोक्ष के दावेदार ! इस गाथा में मोक्ष का सस्ता नुस्खा बताने वाले तीन मोक्षवादियों के मत का निरूपण किया गया है । वे इस प्रकार हैं--(१) नमक छोड़ देने से मोक्ष प्राप्त हो जाता है, ठंडे पानी के सेवन से मोक्ष मिल जाता है, और (३) प्रतिदिन अग्नि में घृत आदि द्रव्यों का होम करने से मोक्ष प्राप्ति होती है।
तीनों सस्ते मोक्षवादियों का मत क्रमशः यों है-'जितं सर्व रसं जिते' रस पर विजय पाने से सब पर विजय पा ली। नमक सब रसों का राजा है। नमक ऐसा रस है, जिससे आहार के रस का पोषण होता है। इसलिए आहार के साथ पाँच प्रकार के रसों (लवणों) को छोड़ देने से मोक्ष प्राप्ति हो जाती है। पाँच रस ये हैं --'सैन्धव, सौवर्चल, बिड, रौम, सामुद्र'। नमक के त्याग से रसमात्र का त्याग हो जाता है, और उसके त्याग से मोक्ष निश्चित है। किसी प्रति में ऐसा पाठ मिलता है -- 'आहारओ पंचकवज्जणेणं' उसका अर्थ है --आहार में पाँच वस्तुओं के त्याग से मोक्ष मिलता है । वे ५ वस्तुएँ इस प्रकार हैं - 'लहसुन, प्याज, ऊँटनी का दूध, गोमांस और मद्य ।' कई वारिभद्रक भागवतविशेष सचित्त जल के सेवन से मोक्ष मानते हैं । वे कहते हैं, जैसे-वस्त्र, शरीर आदि के बाह्य मल की शुद्धि करने
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