Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Hemchandraji Maharaj, Amarmuni, Nemichandramuni
Publisher: Atmagyan Pith
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सूत्रकृतांग सूत्र
सद् और असद् के विवेक से हीन होने के कारण बालकबत् अज्ञानी हैं। वे मूढजीव अपनी अज्ञानता के कारण बहुत पाप करते हैं ।
इस प्रकार सकर्म (बाल) वीर्य का वर्णन करके उसका उपसंहार करते हुए शास्त्रकार कहते हैं
मूल पाठ एयं सकम्मवोरियं, बालाणं तु पवेदितं । इत्तो अकम्मवीरियं, पंडियाणं सुणेह मे ॥६॥
संस्कृत छाया एतत् सकर्मवीयं बालानां तु प्रवेदितम् । इतोऽकर्मवीर्य, पण्डितानां शृणुत मे ॥६॥
___ अन्वयार्थ (एयं) यह (बालाणं) अज्ञानियों का (सकम्मवीरियं) सकर्मवीर्य (पवेदितं) कहा गया है। (इत्तो) अब यहाँ से (पंडियाणं) उत्तम विज्ञ साधुओं के (अकम्मवीरियं) अकर्मवीर्य के सम्बन्ध में (मे सुणेह) मुझ से सुनो।
भावार्थ यह (पूर्वोक्त) अज्ञानियों का सकर्मवीर्य कहा गया है। अब यहाँ से पण्डित मुनिवरों के अकर्मवीर्य के बारे में मुझ से सुनो।
व्याख्या सकर्मवीर्य का उपसंहार, अकर्मवीर्य का प्रारम्भ
पूर्वोक्त गाथाओं में सकर्म (बाल) वीर्य के सन्दर्भ में कहा गया है कि कई अज्ञानीजन प्राणिघात के लिए शस्त्रसंचालन विद्या सीखते हैं, कई लोग प्राणिहिंसाप्रेरक शास्त्रों को पढ़ते हैं, कई परपीड़क मंत्रों का अध्ययन करते हैं, कई कपटी नाना प्रकार के कपट एवं मायाचार से कामभोग-सेवन करते हैं तथा कितने ही लोग पापकर्म करके वैरपरम्परा बाँध लेते हैं, आदि । जैसे जमदग्नि ने अपनी पत्नी के साथ कुकर्म करने के कारण कृतवीर्य को मार डाला था, इस वैर के कारण कृतवीर्य के पुत्र कार्तवीर्य ने जमदग्नि को मार डाला था। फिर जमदग्नि के पुत्र परशुराम ने सात बार पृथ्वी को क्षत्रिय-रहित कर दिया था, उसके पश्चात् कार्तवीर्य के पुत्र सुभम ने २१ बार ब्राह्मणों का विनाश किया था। यह वैरपरम्परा की बोलती कहानी है।
कषाय के वशीभूत होकर शक्तिशाली व्यक्ति शत्र से वैर का बदला उसे अधिक पीड़ा देकर लेते हैं। वे फिर इतने स्वार्थान्ध या क्रोधान्ध हो जाते हैं कि बाप या बेटे का भी कोई लिहाज नहीं रखते । इस प्रकार सकर्मी (पापी) अज्ञानियों या प्रमादी पुरुषों के सकर्म (बाल) वीर्य (बल) के सम्बन्ध में यहाँ तक कहा जा
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