Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Hemchandraji Maharaj, Amarmuni, Nemichandramuni
Publisher: Atmagyan Pith
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स्त्रीपरिज्ञा : चतुर्थ अध्ययन - द्वितीय उद्देश कं
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स्त्री की माँग इतने पर भी रुकती नहीं, उसकी नित नयी माँग जारी रहती है । कभी वह कहती है - प्रियतम ! मुखवास के लिए मुझे पान और सुपारी ( ताम्बूल और पूंगीफल ) चाहिए | कपड़े बहुत फट गये हैं । इन्हें सीने के लिए सूई - धागा भी चाहिए। और हाँ, लगे हाथों पेशाब करने के लिए एक बड़ा प्याला ( भाजन), एक सूप, एक ऊखल तथा एक खार गलाने का बर्तन भी लेते आएँ । यहाँ पूगीफल का अर्थ सुपारी, ताम्बूल का अर्थ नागरबेल के पत्तेपान है ।
'कोसं च मोयमेहाए' - मोक (मोय) पेशाब को कहते हैं। यानी मूत्रविसर्जन करने के लिए कोश यानी भाजन । स्त्री का कहने का आशय यह है कि रात में भय के कारण में उठकर बाहर जाने में असमर्थ हूँ । इसलिए पेशाब का भाजन मेरे लिए लाना आवश्यक है ।
'सुक्खल गं' - चावल आदि को साफ करने तथा भुस्सा वगैरह अलग करने के साधन को सूर्प ( शूर्प) कहते हैं और धान आदि के कूटने के साधन को ऊखल कहते हैं ।
'चंदालगं च करगं च ' - देवपूजन करने के पात्र को चन्दालक कहते हैं । मथुरा में इस पात्र को 'चंदालक' कहा जाता है । जल रखने के एक बर्तन को करक ( करवा ) कहते हैं । ये दोनों चीजें मुझे अवश्य ला दीजिए ।
फिर वह स्त्री आज्ञा देती है— देखो जी ! मैं शौच के लिए बाहर नहीं जा सकती, इसलिए मेरे लिए एक पाखाना यहीं बनवा दें । शौचस्थान ( पाखाना) को 'वच्चघर' (वर्चोगृह) कहते हैं । जिस पर रखकर बाण फेंकते हैं, उसे शरपात -- धनुष कहते हैं । ऐसा एक धनुष अपने लाल के खेलने के लिए ला दो । साथ ही 'गोरहगं च सामणेराए - गोरथक तीन वर्ष के बैल को कहते हैं, जो बैल रथ में जुत सके व सन्तान का भार वहन कर सके । 'सामगेराए' का अर्थ है - श्रमणपुत्र लिए । भूतपूर्व श्रमण वह शीलभ्रष्ट साधु है, स्त्रीसंग से हुए उसके पुत्र को यहाँ श्रमणपुत्र कह दिया गया है । आशय यह है कि वह कहती है, एक तीन वर्ष का ऐसा बैल लाओ, जो गाड़ी में या गोरथ में जुत सके और भार भी खींच सके । इसके पश्चात् ढीठ होकर वह नायिका कहती है- प्राणवल्लभ ! राजकुमार के समान सुन्दर सलौने मेरे नन्हे पुत्र के खेलने के लिए मिट्टी की गुड़िया, अन्य खिलौने, एक बाजा और एक कपड़े की बनी हुई गोल गेंद चाहिए, इन सब वस्तुओं को लेते आएँ । और देखिए, वर्षाकाल शीघ्र ही आने वाला है, उससे पहले आप दो काम कर लीजिए, एक तो एक अच्छा सा मकान वर्षा से रक्षा के लिए बना लें, दूसरे, चार महीने के खाने के लिए अनाज, दाल आदि का प्रबन्ध कर ले | कहा भी है
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