Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Hemchandraji Maharaj, Amarmuni, Nemichandramuni
Publisher: Atmagyan Pith
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वीरस्तुति : छठा अध्ययन नामक २६वे देवलोक के देवों की आयु श्रेष्ठ है, सब सभाओं में प्रथम देवलोक के सौधर्म इन्द्र की सुधर्मा सभा श्रेष्ठ है, सब धर्मों में निर्वाण की ही श्रेष्ठता है, उसी प्रकार ज्ञातपुत्र भगवान् महावीर भी ज्ञानियों में सबसे श्रेष्ठ थे, उनसे बढ़कर कोई ज्ञानी उस युग में नहीं था।
व्याख्या
ज्ञानियों में सर्वश्रेष्ठ ज्ञातपुत्र महावीर इस गाथा में तीन सर्वश्रेष्ठ बातों की उपमा देकर श्रमण भगवान् महावीर को ज्ञानियों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।
लवसत्तमा' लवसप्तम पारिभाषिक शब्द है। शालिधान आदि की एक मुट्ठी की लवन (काटने की) क्रिया में जितना समय लगता है, उसे 'लव' कहते हैं । सात लवों के जितना समय लवसप्तम कहलाता है। अनुत्तर विमानवासी देवों की यह संज्ञा है। इसका कारण यह है कि यदि उन्हें सात लव की आयु अधिक मिल गई होती तो वे अपने शुद्ध परिणामों से मोक्ष प्राप्त कर लेते, किन्तु आयु की इतनी न्यूनता होने से वे मोक्ष प्राप्त न कर सके और अनुत्तर विमानों में देवरूप से उत्पन्न हुए । संसार के सुखमय जीवन की सर्वोत्कृष्ट दीर्घतर स्थिति (आयु) में सर्वार्थ सिद्ध (लवसप्तम) नामक २६वें देवलोक के देवों की स्थिति (आयु) श्रेष्ठ है।
सभाओं में प्रथम देवलोक के सौधर्म इन्द्र की सुधर्मा सभा श्रेष्ठ है, क्योंकि उसमें अनेक क्रीड़ा के स्थान बने हुए हैं। तथा सब धर्मों ने निर्वाण (मोक्ष) को श्रेष्ठ माना है, कुप्रावचनिक तक भी अपने दर्शन का फल मोक्ष ही बताते हैं । जितने भी धर्म या दर्शन हैं सभी एक या दूसरे प्रकार से निर्वाण या मोक्ष को श्रेष्ठ पुरुषार्थ और जीवन का अन्तिम ध्येय मानते हैं। इसी तरह सर्वज्ञ श्री भगवान् महावीर स्वामी ज्ञानियों में सर्वश्रेष्ठ थे, उनसे बढ़कर और कोई ज्ञानी उस युग में नहीं था।
मूल पाठ पुढोवमे धुणइ विगयगेही, न सण्णिहि कुव्वइ आसुपन्ने । तरिउं समुद्द व महाभवोघं, अभयंकरे वोर अणंतचक्ख ॥२५॥
संस्कृत छाया पृथिव्युपमो धुनाति विगतगृद्धिः, न सन्निधिं करोत्याशुप्रज्ञः । तरित्वा समुद्रमिव महाभवौघमभयंकरो वीरोऽनन्तचक्षः ॥२५॥
अन्वयार्थ (पुढोवमे) भगवान् महावीर स्वामी पृथ्वी के समान सब प्राणियों के लिए आधारभूत थे, (धुणइ) आठ प्रकार के कर्ममलों को दूर करने वाले थे, (विगयगेही) वे
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