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विपाक सूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध .......................................................... विस्सरे आरसिए तए णं एयस्स दारगस्स आरसियसई सोच्चा णिसम्म हत्थिणाउरे बहवे णगरगोरूवा जाव भीया ४ सव्वओ समंता विप्पलाइत्था तम्हा णं होउ अहं दारए गोत्तासे णामेणं ॥४॥ .. कठिन शब्दार्थ - जायमेत्तेणं - जन्म लेते ही, आरसिए - भयंकर आवाज की, विघुट्टे - चीत्कार पूर्ण, विस्सरे - कर्णकटु, आरसियसई - आरसित शब्द-चिल्लाहट को, विप्पलाइत्था - भागने लगे।
भावार्थ - उस बालक ने जन्मते ही महान् कर्णकटु एवं चीत्कार पूर्ण भयंकर शब्द किया। उसके चीत्कार पूर्ण शब्द को सुन कर तथा अवधारण कर हस्तिनापुर नगर के नागरिक पशु यावत् वृषभ आदि भयभीत हुए, उद्वेग को प्राप्त हो कर चारों तरफ भागने लगे। तदनन्तर उस बालक के माता पिता ने इस प्रकार से उसका नामकरण किया कि जन्म लेते ही इस बालक ने महान् कर्णकटु और चीत्कारपूर्ण भीषण शब्द किया है जिसे सुन कर हस्तिनापुर के गौ आदि नागरिक पशु भयभीत और उद्विग्न होकर चारों तरफ भागने लगे इसलिये इस बालक का नाम 'गोत्रास'-गो आदि पशुओं को त्रास देना-रखा जाता है।
भीम कूटग्राह की मृत्यु तए णं से गोत्तासे दारए उम्मुक्कबालभावे० जाए यावि होत्था। तए णं से भीमे कूडग्गाहे अण्णया कयाइ कालधम्मुणा संजुत्ते। तए णं से गोत्तासे दारए बहूणं मित्त-णाइ-णियग-सयण-संबंधि-परियणेणं सद्धिं संपरिषुडे रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे भीमस्स कूडग्गाहस्स णीहरणं करेइ करेत्ता बहूणं लोइयमयकिच्चाई करेइ ॥५०॥ ..
कठिन शब्दार्थ - उम्मुक्कबालभावे - बालभाव को त्याग कर, कालधम्मुणा - काल धर्म से, संजुत्ते - संयुक्त हुआ, मित्त-णाइ-णियग-सयण-संबंधि-परियणेणं - मित्र-सुहृद, ज्ञातिजन निजक-आत्मीय पुत्र आदि, स्वजन-पिता आदि, संबंधी-श्वसुर आदि, परिजन-दासदासी आदि से, संपरिवुडे - संपरिवृत-घिरा हुआ, रोयमाणे - रुदन करता हुआ, कंदमाणे - आक्रंदन करता हुआ, विलवमाणे - विलाप करता हुआ, लोइयमयकिच्चाई - लौकिक मृतक
क्रियाएं।
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