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विपाक सूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध
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इस प्रकार निश्चय ही हे गौतम! अभग्नसेन चोर सेनापति पूर्वकृत पुराने दुष्कर्मों का यावत् प्रत्यक्ष फल भोगता हुआ जीवन व्यतीत कर रहा है।
विवेचन - इस प्रकार गौतम स्वामी ने श्रमण भगवान् महावीर स्वामी से जो प्रश्न पूछा था, उसका प्रभु ने उत्तर दे दिया। अब गौतम स्वामी उसके भविष्य विषयक अपनी जिज्ञासा प्रकट करते हैं -
आगामी भव अभग्गसेणे णं भंते! चोरसेणावई कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ? कहिं उववजिहिइ? . ____ गोयमा! अभग्गसेणे चोरसेणावई सत्तत्तीसं वासाई परमाउयं पालइत्ता अज्जेव तिभागावसेसे दिवसे सूलभिण्णे कए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए उक्कोस.....णेरइएसु उववजिहिइ, से णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता.... एवं संसारो जहा पढमे जाव पुढवीए, तओ उव्वट्टित्ता वाणारसीए णयरीए सूयरत्ताए पच्चायाहिइ। से णं तत्थ सोयरिएहिं जीवियाओ ववरोविए समाणे तत्थेव. वाणारसीए णयरीए सेट्टिकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिइ। से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे......एवं जहा पढमे जाव अंतं काहिइ॥ णिक्खेवो॥८६॥
॥तइयं अज्झयणं समत्तं॥ कठिन शब्दार्थ - अज्जेव - आज ही, तिभागावसेसे - त्रिभागावशेष अर्थात् जिसका तीसरा भाग बाकी हो ऐसे, सूलभिण्णे - शूली से भिन्न, सूयरत्ताए - शूकर रूप में, सोयरिएहिशूकर का शिकार करने वालों के द्वारा, सेट्टिकुलंसि - श्रेष्ठि कुल में, पच्चायाहिइ - उत्पन्न होगा, उम्मुक्कबालभावे - बाल भाव-बाल्यावस्था को त्याग कर। ___भावार्थ - हे भगवन्! अभग्नसेन चोर सेनापति कालमास में-मृत्यु के समय काल करके कहाँ जायगा? कहां पर उत्पन्न होगा? '
हे गौतम! अभग्नसेन चोर सेनापति ३७ वर्ष की परम आयु को भोग कर आज ही त्रिभागावशेष दिन में सूली पर चढ़ाये जाने से काल करके रत्नप्रभा नामक प्रथम नरक में नैरयिक
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