Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 356
________________ महचंदे णामं णवमं अज्झयणं महच्चन्द्र नामक नववा अध्ययन णवमस्स उक्खेवो-चंपा णयरी, पुण्णभद्दे उज्जाणे, पुण्णभद्दो जक्खो, दत्ते राया, रत्तवई देवी, महचंदे कुमारे जुवराया, सिरीकंतापामोक्खा पंचसया कण्णा, पाणिग्गहणं जाव पुव्वभवो-तिगिच्छी णयरी, जियसत्तू राया, धम्मवीरिए अणगारे पडिलाभिए जाव सिंद्धे ॥२४३॥ . भावार्थ - अब नववें अध्ययन का अर्थ कहा जाता है - चम्पा नाम की एक नगरी थी। उसके बाहर पूर्णभद्र उद्यान था। उसमें पूर्णभद्र यक्ष का यक्षायतन था। वहाँ दत्त नाम का राजा राज्य करता था। उसकी रानी का नाम रक्तवती था। उनके महच्चन्द्र नाम का कुमार युवराज था। श्रीकान्ता आदि पांच सौ राजकन्याओं के साथ उसका विवाह किया गया। एक समय वहाँ तीर्थंकर भगवान् पधारे। गणधर महाराज के पूछने पर भगवान् ने उसका पूर्वभव बतलाया कि - यह पूर्व भव में तिगिच्छी नगरी में जितशत्रु नाम का राजा था। उसने धर्मवीर्य अनगार को भावपूर्वक आहारादि बहरा कर प्रतिलाभित किया यावत् सिद्ध, बुद्ध मुक्त हो गया। विवेचन - सुखविपाक सूत्र के इस नववें अध्ययन के नायक हैं - महच्चन्द्र कुमार। महच्चन्द्रकुमार के जीव जितशत्रु राजा ने धर्मवीर्य अनगार को भावपूर्वक प्रतिलाभित किया था। सुपात्रदान के प्रभाव से महच्चन्द्रकुमार उसी भव में मोक्ष चले गए। || इति नवम अध्ययन समाप्त॥ + + + + Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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