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विपाक सूत्र-द्वितीय श्रुतस्कन्ध
अन्य दर्शनों की आकांक्षा रहित, णिव्वितिगिच्छे - निर्विचिकित्सक-धर्म क्रियाओं के फल में संदेह रहित, लखढे - जीवादि तत्त्वों के अर्थ को प्राप्त किया, गहियढे - अर्थ को जाना, पुच्छियट्टे - संशय को पूछा, विणिच्छियट्टे - पूछ कर निर्णय किया, अहिगयटे - तात्पर्य जानकर हृदय में धारण किया, अट्ठिमिंज पेम्माणुरागरत्ते - हड्डिया और मज्जा निर्ग्रन्थ प्रवचन के अनुराग से अनुरक्त, ऊसियफलिहे - उसके किवाड़ों का भोगल अलग रहता था, अवंगुयदुवारे - दान देने के लिए उसके घर के द्वार सदा खुले रहते थे, चियत्तंतेउरघरप्पवेसे - किसी के घर में अथवा राजा के अन्तःपुर में भी चला जाता तो उस पर किसी का अविश्वास नहीं किया जाता, बहहिं सीलव्वय-गुणवेरमण-पच्चक्खाणपोसहोववासेहिं - बहुत से शीलव्रत, गुणव्रत, विरमण व्रत, पोरिसी आदि पच्चक्खाण और पौषध उपवास करता, चाउद्दसट्टमुद्दिष्ट पुण्णिमासिणीसु - चतुर्दशी, अष्टमी, अमावस्या और पूर्णिमा को, पडिपुण्णं पोसहं - प्रतिपूर्ण पौषध का, सम्म अणुपालेमाणे - सम्यक् प्रकार से पालन करता हुआ। ___भावार्थ - वह सुमुख गाथापति बहुत सौ वर्षों तक जीवित रह कर अंत में यथासमय काल करके इसी हस्तिशीर्ष नगर में अदीनशत्रु राजा के यहाँ धारिणी रानी की कुक्षि में पुत्र रूप से उत्पन्न हुआ है। जब यह गर्भ में आया तब उस धारिणी रानी ने शय्या पर अर्द्धनिद्रित अवस्था में जागने के समय पहले कहे अनुसार सिंह को स्वप्न में देखा। शेष पूर्व के समान समझना यावत् ऊंचे महल में रहने लगा। इस प्रकार हे गौतम! सुबाहुकुमार को यह इस प्रकार की विशाल मनुष्य ऋद्धि मिली है, प्राप्त हुई है, उसके समुख आई है।
गौतम स्वामी ने पूछा कि - 'हे भगवन्! क्या सुबाहुकुमार आपके पास मुण्डित होकर घर से निकल कर दीक्षा लेने में समर्थ है?'
__ भगवान् ने फरमाया कि - हाँ, दीक्षा लेने में समर्थ है। . तदनन्तर भगवान् गौतम स्वामी ने श्रमण भगवान् महावीर स्वामी को वंदना नमस्कार किया, वंदना नमस्कार करके संयम और तप से अपनी आत्मा को भावित करते हुए आत्म चिंतन में तल्लीन रहने लगे। ___इसके बाद किसी समय श्रमण भगवान् महावीर स्वामी हस्तिशीर्ष नगर के पुष्पकरण्डक उद्यान के कृतवनमालप्रिय यक्ष के यक्षायतन से निकले, निकल कर बाहर के देशों में विचरने लगे। तदनन्तर वह सुबाहुकुमार श्रावक हुआ। उसने जीव और अजीव के स्वरूप को भली प्रकार जान लिया। पुण्य और पाप को जाना। आम्रव, संवर, निर्जरा, क्रियाधिकरण, बंध और
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