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. विपाक सूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध ....................................................... घर से निकालना एवं पूर्वकृत अशुभ कर्मों के उदय से शरीर में भयंकर रोगों का उत्पन्न होना और उम्बरदत्त के दुःखमय जीवन का वर्णन किया गया है। अब सूत्रकार उम्बरदत्त के भविष्य के जीवन विषयक गौतम स्वामी की पृच्छा का वर्णन करते हैं -
भविष्य-पृच्छा तए णं से उंबरदत्ते कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ? कहिं उववज्जिहिइ?
गोयमा! उंबरदत्ते दारए बावत्तरिं वासाइं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइएसु, रइयत्ताए उववजिहिड़, संसारों तहेव जाव पुढवी, तओ हथिणाउरे णयरे कुमकुडताए पञ्चायाहिइ गोटिवहिए तत्थेव हत्थिणाउरे णयरे सेट्टिकुलंसि उबवज्जिहिइ बोहिं.....सोहम्मे कप्पे.....महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ॥णिक्खेवो॥१३३॥
॥ सत्तमं अज्झयणं समत्तं॥ भावार्थ - तदनंतर वह उम्बरदत्त बालक यहाँ से कालमास में काल करके कहां जायेगा? कहाँ उत्पन्न होगा?
हे गौतम! उम्बरदत्त बालक ७२ वर्षों की परम आयु पाल कर कालमास में काल करके इसी रत्नप्रभा पृथ्वी-नरक में नैरयिक रूप से उत्पन्न होगा। वह पहले की भांति संसार परिभ्रमण करता हुआ यावत् पृथ्वीकाय में लाखों बार उत्पन्न होगा। वहाँ से निकल कर हस्तिनापुर नगर में कुर्कुट के रूप में उत्पन्न होगा। वहाँ जातमात्र अर्थात् उत्पन्न हुआ ही गौष्ठिक-दुराचारी मंडल के द्वारा वध को प्राप्त होता हुआ वही हस्तिनापुर में एक श्रेष्ठिकुल में उत्पन्न होगा वहाँ सम्यक्त्व को प्राप्त करेगा और वहाँ से मर कर सौधर्म नामक प्रथम देवलोक में उत्पन्न होगा। वहाँ से च्यव कर महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेगा वहाँ अनगार धर्म को प्राप्त कर यथाविधि संयम की आराधना करता हुआ कर्मों का क्षय करके सिद्ध पद-मोक्ष को प्राप्त करेगा, केवलज्ञान द्वारा समस्त पदार्थों को जानेगा, समस्त कर्मों से रहित हो जावेगा, सकल कर्मजन्य संताप से विमुक्त
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