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विपाक सूत्र-द्वितीय श्रुतस्कन्ध wor.............. . .. . ......................... लक्षणों का ज्ञान ३७. मुर्गों के लक्षणों का ज्ञान ३८. छत्र संबंधी ज्ञान ३९. बांस आदि के डंडे का ज्ञान ४०. तलवार के लक्षण एवं तलवार संबंधी ज्ञान ४१. मणियों के लक्षण का ज्ञान ४२. काकिणी आदि रत्नों के लक्षण का ज्ञान ४३. वास्तु यानी घर आदि बनाने की विधि का ज्ञान ४४. अक्षौहिणी आदि सेना की रचने करने की कला का ज्ञान ४५. नगर आदि बसाने के परिमाण का ज्ञान ४६. व्यूह रचना करने का ज्ञान ४७. शत्रुसेना के व्यूह को भेदने की कला का ज्ञान ४८. सेना के संचार करने की कला का ज्ञान ४६. विरोधी सेना के विरुद्ध सेना संचालित करने का ज्ञान ५०. चक्र के आकार की व्यूह रचना करने का ज्ञान ५१. गरुड़ के आकार की व्यूह रचना करने का ज्ञान ५२. गाड़ी के आकार की व्यूह रचना करने का ज्ञानं ५३. युद्ध. . करने का ज्ञान ५४. विशेष युद्ध करने का ज्ञान ५५. धावा मार कर घोर युद्ध करने का ज्ञान ५६. अस्थि से युद्ध करने का ज्ञान ५७. मुष्टि से युद्ध करने का ज्ञान ५८. बाहु युद्ध करने का. ज्ञान ५६. लता युद्ध करने का ज्ञान ६०. थोड़ी वस्तु को अधिक और अधिक को थोड़ी दिखाने की कला ६१. खुरपे सरीखे शस्त्र चलाने का ज्ञान ६२. धनुर्विधा का ज्ञान ६३. चांदी शुद्ध करने का ज्ञान ६४. सोना शुद्ध करने का ज्ञान ६५. सूत्र छेदन करने की कला ६६. गांठ खोलने की कला ६७. कमल की नाली को भेदने की कला ६८. पत्तों को छेदने की कला ६६. चटाई के समान वस्तुओं को छेदने का ज्ञान ७०. मरे हुए को जिन्दे के समान दिखलाने की कला का ज्ञान ७१. जीवित को मरे हुए के समान दिखलाने की कला का ज्ञान ७२. पक्षियों के शब्द सुन कर शुभाशुभ फल जानने का ज्ञान। विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में पुरुष की ७२ कलाओं का वर्णन किया गया है। .
कलाचार्य का सम्मान तए णं से कलायरिए सुबाहुं कुमारं लेहाइयाओ गणियप्पहाणाओं सउणरुयपज्जवसाणाओ बावत्तरि कलाओ सुत्तओ य अत्थओ य करणओ य सिहावेइ सिक्खावेइ सिहावित्ता सिक्खावित्ता अम्मापिऊणं उवणेइ। तएणं सुबाहुकुमारस्स अम्मापियरो तं कलायरियं महुरेहिं वयणेहिं विउलेणं वत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं सक्कारेंति सम्माणेति, सक्कारिता सम्माणित्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयंति, दलइत्ता पडिविसज्जेंति॥२०॥
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