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प्रथम अध्ययन - सुबाहुकुमार का पाणिग्रहण एवं प्रीतिदान
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गया और मांगलिक वचनों द्वारा प्रधान कौतुक मंगलोपचार और शांति कर्म किया गया। ऐसे उस सुबाहुकुमार का एक सरीखी समान त्वचा वाली, समानवय वाली, समान रूप, लावण्य, यौवन
और गुणों से युक्त विनीत और विघ्न शांति के लिए मंगल और कौतुक आदि जिन्होंने कर लिए हैं ऐसी समान राजकुलों से लाई गईं पुष्पचूला प्रमुख आदि पांच सौ राज कन्याओं के साथ एक ही दिन में पाणिग्रहण करवाया अर्थात् विवाह कराया।
- तदनन्तर उस सुबाहुकुमार के माता-पिता ने इस प्रकार प्रीतिदान दिया। यथा-पांच सौ कोटि चांदी के सिक्के, पांच सौ कोटि सोने के सिक्के, पांच सौ मुकुट, पांच सौ उत्तम मुकुट, पांच सौ कुण्डलों के जोड़े, पांच सौ उत्तम कुण्डलों के जोड़े, पांच सौ हार, पांच सौ उत्तम हार, पांच सौ अर्द्ध हार, पांच सौ उत्तम अर्द्ध हार, पांच सौ एकावली हार, पांच सौ उत्तम एकावली हार, इसी प्रकार पांच सौ मुक्तावली हार, इसी प्रकार पांच सौ कनकावली हार, पांच सौ रत्नावली हार, पांच सौ जोड़े कड़े, पांच सौ जोड़े उत्तम कडे, इसी प्रकार पांच सौ जोड़े भुजबन्ध, पांच सौ कपास के वस्त्र के जोड़े, पांच सौ उत्तम कपास के वस्त्र के जोड़े, इसी प्रकार रेशमी वस्त्र के पांच सौ जोड़े, अलसी के वस्त्र के पांच सौ जोड़े, इसी प्रकार दुकूल वृक्ष
की छाल से बने हुए वस्त्र के पांच सौ जोड़े, आगे कहे जाने वाली सब रत्नों की जड़ी हुई श्री . देवी की पांच सौ पुतलियां, ह्री देवी की पांच सौ पुतलियाँ इसी प्रकार धृतिदेवी की पांच सौ पुतलियाँ, कीर्तिदेवी की पांच सौ पुतलियाँ, बुद्धिदेवी की पांच सौ पुतलियां, लक्ष्मीदेवी की पांय सौ पुतलियां, पांच सौ नन्दासन यानी गोल आसन, पांच सौ भद्रासन, पांच सौ ताडवृक्ष के पंखे, पांच सौ तालवृक्ष के उत्तम पंखे, ये सब आसन आदि रत्नों से जड़े हुए थे। अपने प्रधान भवनों के लिए पांच सौ पताकाएं, पांच सौ ध्वजाएं, पांच सौ उत्तम ध्वजाएं। दस हजार गायों का एक गोकुल (वज्र) होता है ऐसे पांच सौ गोकुल, बत्तीस बत्तीस पात्र वाले पांच सौ साधारण नाटक, पांच सौ उत्तम नाटक, पांच सौ घोड़े, पांच सौ उत्तम घोड़े, ये सब रत्नों के बने हुए थे
और लक्ष्मी के भण्डार स्वरूप थे। पांच सौ हाथी, पांच सौ उत्तम हाथी, ये सब रत्नों के बने हुए थे और लक्ष्मी के भण्डार स्वरूप थे। पांच सौ सवारी, पांच सौ उत्तम सवारी, पांच सौ युग्य यानी गोल देश में प्रसिद्ध दो हाथ का लम्बा चौड़ा यान विशेष, पांच सौ उत्तम युग्य, इसी प्रकार पांच सौ शिविका यानी पालखी, पांच सौ पुरुष प्रमाण पालखी, इसी प्रकार पांच सौ हाथी के होदे, पांच सौ दो घोड़ों की बग्घियाँ, पांच सौ विकट यान अर्थात् ऊपर से खुली हुई सवारी, पांच सौ उत्तम विकट यान, क्रीडार्थ जाने आने के लिए पांच सौ रथ, युद्ध में काम
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