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विपाक सूत्र-द्वितीय श्रुतस्कन्ध
आने योग्य पांच सौ रथ, पांच सौ घोड़े, पांच सौ उत्तम घोड़े, पांच सौ हाथी, पांच सौ उत्तम हाथी, जहाँ दस हजार घरों की बस्ती हो उसे गांव कहते हैं ऐसे पांच सौ साधारण ग्राम, पांच सौ उत्तम ग्राम, पांच सौ दास, पांच सौ उत्तम दास और इसी तरह पांच सौ दासियां, पांचसौ किङ्कर, पांच सौ.कंचुकी यानी अन्तःपुर के चपरासी, इसी प्रकार पांच सौ वर्षधर यानी वे खोजा . जो अन्तःपुर में कार्य करते हैं, पांच सौ महत्तरक यानी अन्तःपुर के कार्य की चिंता करने वाले, पांच सौ सोने की सांकल वाले दीपक, पांच सौ चांदी की सांकल वाले दीपक, पांच सौ सोने और चांदी की सांकल वाले दीपक, पांच सौ सोने की दीपक रखने की दीवट, पांच सौ चांदी की दीपक रखने की दीवट, पांच सौ सोने चांदी की दीपक रखने की दीवट, पांच सौ सोने के. लालटेन वाले दीपक, इसी तरह तीन बोल कह देना चाहिए अर्थात् पांच सौ चांदी के और पांच सौ सोने चांदी के लालटेन वाले दीपक, पांच सौ सोने के थाल, पांच सौ चांदी के थाल, पांच सौ सोने और चांदी के थाल, पांच सौ सोने की परात, पांच सौ चांदी की परात, पांच सौ सोने
और चांदी की परात, पांच सौ सोने के तासक यानी दर्पण के आकार का पात्र विशेष, पांच सौ चांदी के तासक, पांच सौ सोने चांदी के तासक, पांच सौ सोने के कटोरे, पांच सौ चांदी के कटोरे, पांच सौ सोने और चांदी के कटोरे, पांच सौ सोने की कटोरियां, पांच सौ चांदी की कटोरियां, पांच सौ सोने चांदी की कटोरियां, पांच सौ सोने के पीकदान, पांच सौ चांदी के पीकदान, पांच सौ सोने चांदी के पीकदान, पांच सौ सोने के तालिकाहस्त यानी एक प्रकार का पात्र, पांच सौ चांदी के तालिकाहस्त, पांच सौ सोने चांदी के तालिकाहस्त, पांच सौ सोने के अवपाक्य यानी तवे, पांच सौ चांदी के तवे, पांच सौ सोने चांदी के तवे, पांच सौ सोने के बांजोठ, पांच सौ चांदी के बाजोठ, पांच सौ सोने चांदी के बाजोठ, पांच सौ सोने के आसन, पांच सौ चांदी के आसन, पांच सौ सोने चांदी के आसन, पांच सौ सोने के पानदान, पांच सौ चांदी के पानदान, पांच सौ सोना चांदी के पानदान, पांच सौ सोने के पलंग, पांच सौ चांदी के पलंग, पांच सौ सोने चांदी के पलंग, पांच सौ सोने के प्रतिशय्या-छोटे पलंग, पांच सौ चांदी के प्रतिशय्या, पांच सौ सोने चांदी के प्रतिशय्या, पांच सौ हंस के आकार के आसन, पांच सौ कौन्वासन इसी प्रकार पांच सौ गरुडासन, पांच सौ उन्नता यानी ऊंचे आसन, पांच सौ ढालू आसन, पांच सौ दीर्घासन, पांच सौ भद्रासन, पांच सौ पक्षासन-पक्षियों के चित्रों से चित्रितः आसन, पांच सौ मकरासन, पांच सौ पद्मासन, पांच सौ दिशा-सौवस्तिकासन यानी दक्षिणावर्त स्वस्तिक के आकार वाले आसन, पांच सौ तेल के बर्तन इसके अतिरिक्त जिस प्रकार राजप्रश्नीय
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