________________
प्रथम अध्ययन - राजा का आदेश
२२६ ...........................................................
तए णं से अदीणसत्तू राया अप्पणो अदूरसामंते उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए अट्ठ भद्दासणाई सेयवत्थपच्चुत्थुयाइं सिद्धत्थमंगलोवयारकयसंतिकम्माई रयावेइ, रयावित्ता णाणामणिरयणमंडियं अहियपेच्छणिज्जरूवं महग्घवरपट्टणुग्गयं सहबहुभत्तिसयचित्तठाणं ईहामिय-उसभ-तुरय-गर-मगर-विहगवालग-किण्णर-रुरुसरभ-चमर-कुंजर-वणलय-पउमलय-भत्तिचित्तं सुखचियवर-कणगपवर- पेरंतदेसभागं अन्भिंतरियं जवणियं अंछावेइ ॥१८४॥
कठिन शब्दार्थ - अदूरसामंते - पास ही, सेयवत्थपच्चुत्थुयाई - सफेद वस्त्र से ढके हुए, सिद्धत्थमंगलोवयारकयसंतिकम्माई - जिन पर सरसों आदि मांगलिक उपचार द्वारा विघ्नों का उपशम करने के लिये शांति कर्म किया गया है, भद्दासणाई - भद्रासन, रयावेइ - रखवाये, महग्यवरपट्टणुग्गयं - बहुमूल्य और उत्तम बना हुआ, सहबहुभत्तिसयचित्तठाणं - सूक्ष्म और अनेक प्रकार के सैकड़ों चित्रों के स्थान, ईहामिय-उसभ-तुरय-णर-मगर-विहगवालग-किण्णर-रुरु-सरभ-चमर-कुंजर-वणलय-पउमलय भत्तिचित्तं - ईहा मृग (भेडिया) बैल, घोड़ा, मनुष्य, मगर, पक्षी, व्याल (सर्प), किन्नर, रुरु (एक प्रकार का मृग) सिंह अथवा एक प्रकार का शिकारी पशु, चमरी गाय, हाथी, वनलता, पद्मलता आदि अनेक प्रकार के चित्रों से चित्रित, सुखचियवरकणगपवर-पेरंतदेसभागं - उत्तम सोने के तार से मण्डित कोणों वाला, जवणियं - यवनिका-पर्दा, अंछावेई - डाल दिया।
भावार्थ - तदनन्तर उस अदीनशत्रु राजा ने अपने पास ही उत्तर पूर्व के मध्य के दिशा भाग में अर्थात् ईशान कोण में सफेद वस्त्र से ढके हुए और जिन पर सरसों आदि मांगलिक उपचार द्वारा विघ्नों का उपशम करने के लिए शांति कर्म किया गया है ऐसे आठ भद्रासन रखवाये। रखवा कर नानामणि और रत्नों से शोभित अधिक दर्शनीय, बहुमूल्य और उत्तम बना हुआ, सूक्ष्म और अनेक प्रकार के सैकड़ों चित्रों का स्थान ईहामृग यानी भेडिया, बैल, घोड़ा मनुष्य, मगर, पक्षी, सर्प, किन्नर, रुरु, सिंह अथवा एक प्रकार का शिकारी पशु, चमरी गाय, हाथी, वनलता पद्मलता आदि अनेक प्रकार के चित्रों से चित्रित उत्तम सोने के तार से मण्डित कोनों वाला आन्तरिक पर्दा डाल दिया। - विवेचन - राजा के सिंहासन के पास आठ सुन्दर भद्रासन. लगाये गये और अनेक चित्रों से युक्त एक आंतरिक पर्दा डाल दिया गया।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org