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विपाक सूत्र- प्रथम श्रुतस्कन्ध
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किसी अन्य समय वह शौरिकदत्त स्वयं ही मच्छीमारों के नेतृत्व को प्राप्त करके विचरण करने लगा। तदनन्तर वह शौरिक बालक मत्स्यबंध - मच्छीमार हो गया जो कि अधर्मी यावत् दुष्प्रत्यानंद - अति कठिनाई से प्रसन्न होने वाला था।
तए णं तस्स सोरियदत्तमच्छंधस्स बहवे पुरिसा दिण्णभइ० एगट्ठियाहिं जउणामहाणइं ओगार्हेति ओगाहेंत्ता बहूहिं दहगलणेहि य दहमलणेहि य दहमद्दणेहि य दहमहणेहि य दहवहणेहि य दहपवहणेहि य मच्छंधुलेहि य पयंचुलेहि . य पंचपुलेहि य जंभाहि य तिसराहि य भिसराहि य घिसराहि य विसराहि य हिल्लिरीहि य लल्लिरीहि य झिल्लिरीहि य जालेहि य गलेहि य कूडपासेहिं य वक्कबंधेहि य सुत्तबंधेहि य वालबंधेहि य बहवे सण्हमच्छे य जाव पडागाइपडागे य गिण्हंति० एगट्ठियाओ (णावा) भरेंति० कूलं गार्हेति० मच्छखलए करेंति० आयवंसि दलयंति, अण्णे य से बहवे पुरिसा दिण्णभइभत्त-वेयणा आयवतत्तएहिं सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य रायमग्गंसि वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति, अप्पणावि य णं से सोरियदत्ते बहूहिं सण्हमच्छेहि य जाव पडा० सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य सुरं च ६ आसाएमाणे० विहरइ ॥ १४१ ॥
कठिन शब्दार्थ - एगट्टियाहिं - छोटी नौकाओं के द्वारा, जउणं महाणई - यमुना नामक महानदी का, दहगलणेहि - हृदगलन-हद- झील या सरोवर का जल निकाल देने से, दहमलणेहि- ह्रदमलन - ह्रदगत जल के मर्दन करने से, दहमद्दणेहि - हृदमर्दन अर्थात् थूहर का दूध डाल कर जल को विकृत करने से, दहमहणेहि - हृदमथन - ह्रदगत जल को तरुशाखाओं द्वारा विलोडित करने से, दहवहणेहि - हृदवहन हद में से नाली आदि के द्वारा जल के बाहिर निकालने से, दहपवहणेहि - हृद प्रवहण - हदजल को विशेष रूपेण प्रवाहित करने से, पयंचुलेहिमत्स्य बंधन विशेषों से, पंचपुलेहि मच्छों को पकड़ने के जाल विशेषों से, जंभाहि- बंधन विशषों से, तिसराहि - त्रिसरा मत्स्य बंधन विशेषों से, भिसराहि - भिसरा-मत्स्यों को पकड़ने के बंधन विशेषों से, घिसराहि घिसरा मत्स्यों को पकड़ने के जाल विशेषों से, विसराहि - द्विसरा - मत्स्यों को पकड़ने के जाल विशेषों से, हिल्लीरीहि - हिल्लरी- मत्स्यों को पकड़ने के जाल विशेषों से, झिल्लिरीहि - झिल्लरी - मत्स्य बंधन विशेषों से, लल्लिरिहि
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