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प्रथम अध्ययन - धारिणी का स्वप्न-दर्शन
.......................... कोमलमाइय सोभंतलट्ठ उ8 - संस्कार किये गये उत्तम जाति के कमल के समान कोमल यथा प्रमाण और अत्यंत मनोज्ञ होठों वाले, रत्तुप्पलपत्तमउयसुकुमाल तालुजीहं - लाल कमल की तरह कोमल तालु और जिह्वा वाले, मूसागय पवर कणगताविय आवत्तायंत वट्टतडिविमल सरिसणयणं - मूस में रख कर तपाये हुए सोने के समान निर्मल और चमकती हुई बिजली के समान तेज और गोल आंखों वाले, विसालपीवरोरुं - मोटी और मजबूत जांघ वाले, पडिपुण्णविमलखधं - पूर्ण और मोटे कंधे वाले, मिउ-विसय-सुहमलक्खण-पसत्थ विच्छिण्ण केसरसडोवसोहियं - कोमल, स्वच्छ, सूक्ष्म और फैले हुए गर्दन के सुंदर बालों की छटा से शोभित, ऊसिय सुणिम्मिय सुजाय अप्फोडियलंगूलं - धरती पर फटकार कर ऊंची करके फिर नीचे को झुकी है पूंछ जिसकी ऐसे, सोमं - सौम्य, सोमाकारं - सौम्याकार, लीलायंतक्रीड़ा करते हुए, जंभायंतं - जंभाई लेते हुए, णहयलाओ - आकाश से, ओवयमाणं - उतर कर, णिययवयणं - अपने मुख से, अइवयंतं - प्रवेश करते हुए।
भावार्थ - हार, रजत, क्षीर समुद्र, चन्द्रमा की किरण, जल प्रवाह और रजत महाशैल (वैताढ्य पर्वत) के समान बहुत श्वेत, रमणीय अतएव दर्शनीय, स्थिर और मनोहर कलाई युक्त तथा गोल स्थूल मिली हुई उत्तम तेज दाढों युक्त विस्तृत मुख वाले, संस्कार किये गये उत्तमजाति के कमल के समान कोमल यथा प्रमाण और अत्यंत मनोज्ञ होठों वाले, लाल कमल की तरह कोमल तालु और जिह्वा वाले, मूस में रख कर तपाये हुए सोने के समान निर्मल और चमकती हुई बिजली के समान तेज और गोल आंखों वाले, मोटी और मजबूत जांघ वाले, पूर्ण
और मोटे कंधे वाले, कोमल स्वच्छ सूक्ष्म और फैले हुए गर्दन के सुंदर बालों की छटा से शोभित धरती पर फटकार कर ऊंची करके फिर नीचे को झुकी है पूंछ जिसकी ऐसे सौम्य सौम्याकार क्रीड़ा करते हुए, जंभाई लेते हुए आकाश से उतर कर अपने मुख में प्रवेश करते हुए सिंह को स्वप्न में देख कर वह धारिणी रानी जागृत हुई।
विवेचन - एक समय वह धारिणी रानी पुण्यात्माओं के शयन करने योग्य शय्या पर सुखपूर्वक सोई हुई थी। अर्द्ध रात्रि के समय जब कि अर्द्ध निद्रित अवस्था में थी। स्वप्न में धारिणी रानी ने देखा कि सभी शुभ लक्षणों से युक्त सिंह क्रीड़ा करता हुआ और जंभाई लेता हुआ आकाशमार्ग से उतर कर उसके मुख में प्रवेश कर गया है। इस शुभ स्वप्न को देख कर वह जागृत हुई।
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