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विपाक सूत्र-द्वितीय श्रुतस्कन्ध
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सुइमालावण्णगविलेवणे आविद्धमणिसुवण्णे कप्पियहारद्धहार-तिसरयपालंबपलंबमाण-कडिसुत्तसुकयसोहे पिणद्धगेवेज्जे अंगुलिज्जग-ललियंग- . ललियकयाभरणे णाणामणि-कडग-तुडिय-थंभियभुए अहियरूव-सस्सिरीए. कुंडलुज्जोइयाणणे मउडदित्तसिरए हारोत्थयसुकय-रइयवच्छे पालंबपलंबमाणसुकयपडउत्तरिज्जे मुद्दिया पिंगलंगुलीए णाणामणिकणगरयण-विमलमहरिहणिउणोविय मिसिमिसंत-विरइय-सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-लट्ठ-संठियपसत्थ आविद्धवीरवलए, किं बहुणा, कप्परुक्खए चेव सुअलंकिय-विभूसिए णरिंदे सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं उभओ चउचामरवालवीइयंगे मंगलजयसद्दकयालोए अणेगगण-णायग-दंडणायग-राईसर-तलवर-माइंबिय कोडुंबिय-मंति-महामंति-गणग-दोवारिय-अमच्च-चेड-पीढमद्द-णगरणिगम-सेटि-सेणावइ सत्थवाह-दूय-संधिवाल सद्धिं संपरिवुडे धवलमहामेह-णिग्गए विव गहगणदिप्पंतरिक्खतारागणाण मज्झे ससिव्व पियदंसणे णरवई मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे॥१८३॥
कठिन शब्दार्थ - मज्जणघरे - स्नानघर, समंतजालाभिरामे (समत्तजालाभिरामे) - चारों ओर से जालियों से सुंदर, विचित्तमणिरयणकोहिमतले - जिसका तल भाग विचित्र मणि और रत्नों से जड़ा हुआ है, हाणमंडवंसि - स्नान मंडप में, कल्लाणगपवरमज्जणविहीए - स्वास्थ्य कर स्मान विधि से, पम्हल-सुकुमालगंधकासाईयलूहियंगे - रुएंदार सुंदर सुगंधित सुकोमल वस्त्र से शरीर को पोंछा, अहयसुमहग्घदूसरयणसुसंवुए - बहुमूल्य नवीन वस्त्र पहना, सरससुरभिगोसीसचंदणाणुलित्तगत्ते- सरस सुगंधि से युक्त गोशीर्ष चंदन का शरीर पर लेप किया, कप्पियहारद्धहारतिसरयपालंबपलंबमाण कडिसुत्तसुकयसोहे - गले में हार, अर्द्धहार, तीन लडा हार पहना, कमर में लम्बा और लटकते हुए झुमके वाला कंदौरा पहना, अंगुलिज्जगललियंगललियकयाभरणे - अंगुलियों में अंगुठियां और बहुत से सुंदर सुंदर आभूषण
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