________________
तृतीय अध्ययन - दोहद पूर्ति
मातृजीवन को सफल किया है। क्या ही अच्छा हो यदि मुझे भी ऐसा करने का अवसर मिले और मैं भी अपने को भाग्यशाली समझू?
स्कंदश्री के दोहद-इच्छित संकल्प की पूर्ति न होने से वह उदास रहने लगी और उसका सारा समय आर्तध्यान में व्यतीत होने लगा। ___इस प्रकार प्रस्तुत सूत्र में निर्णय के नरक से निकल कर स्कंदश्री के गर्भ में आने का तथा स्कंदश्री को उत्पन्न दोहद का वर्णन किया गया है।
दोहद पूर्ति तए णं से विजए चोरसेणावई खंदसिरिभारियं ओहय जाव पासइ, पासित्ता एवं वयासी-किं णं तुमं देवाणुप्पिया! ओहय जाव झियासि? तए णं सा खंदसिरी भारिया विजयं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! मम तिण्हं मासाणं जाव झियामि। तए णं से विजए चोरसेणावई खंदसिरीए भारियाए अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म खंदसिरिभारियं एवं वयासी - अहासुहं देवाणुप्पियत्ति एयमटुं पडिसुणेइ। ___तए णं सा खंदसिरीभारिया विजएणं चोरसेणावइणा अब्भणुण्णाया समाणी हहतुट्ठ० बहहिं मित्त जाव अण्णाहि य बहहिं चोरमहिलाहिं सद्धिं संपरिवडा ण्हाया जाव विभूसिया विउलं असणं ४ सुरं च ६ आसाएमाणी ४ विहरइ जिमियभुत्तुत्तरागया पुरिस णेवत्था संणद्धबद्ध जाव आहिंडमाणी दोहलं विणेइ।
तए णं सा खंदसिरिभारिया संपुण्णदोहला संमाणियदोहला विणीयदोहला वोच्छिण्णदोहला संपण्णदोहला तं गन्भं सुहंसुहेणं परिवहइ॥७३॥ __कठिन शब्दार्थ - संपुण्णदोहला - संपूर्णदोहदा-जिसका दोहद पूर्ण हो गया है, संमाणियदोहला - सम्मानित दोहदा-इच्छित पदार्थ ला कर देने के कारण जिसके दोहद का सन्मान किया गया है, विणीयदोहला - विनीतदोहदा-अभिलाषा के निवृत्ति होने से जिसके दोहद की निवृत्ति हो गई है, वोच्छिण्णदोहला - व्युच्छिन्नदोहदा-इच्छित वस्तु की आसक्ति न । रहने से उसका दोहद व्युच्छिन्न-आसक्ति रहित हो गया है, संपण्णदोहदा - सम्पन्नदोहदा
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org