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द्वितीय अध्ययन - सुभद्रा को पति वियोग ........................................................... णिब्बुड्ड० कालधम्मुणा संजुत्तं सुणेइ, सुणेत्ता महया पइसोएणं अप्फुण्णा समाणी परसुणियत्ताविव चंपगलया धस-त्ति धरणीयलंसि सव्वंगेहिं संणिवडिया॥५४॥
कठिन शब्दार्थ - सत्थवाहे - सार्थवाह-व्यापारियों का मुखिया, पोयवहणेणं - पोतवहनजहाज द्वारा, गणिमं - गणिम-गिनती से बेची जाने वाली वस्तु जिसका भाव संख्या पर हो जैसे-नारियल आदि, धरिमं - धरिम-जो तराजू से तोल कर बेची जाय जैसे-घृत-गुड़ आदि, मेज्जं - मेय-जिसका माप किया जाय जैसे-वस्त्र आदि, परिच्छेज्जं - परिच्छेद्य-जिसका क्रय विक्रय परीक्षा पर निर्भर हो जैसे-रत्न, नीलम आदि, भंडं - भाण्ड-बेचने योग्य वस्तुएं, पोयविवत्तिए - जहाज पर आपत्ति आने से, णिब्बुडभंडसारे - बहुमूल्य वस्तुएं जल मग्न हो गई, अत्ताणे - अत्राण-जिसका कोई रक्षक नहीं हो, असरणे - अशरण-जिसका कोई आश्रयदाता न हो, हत्थणिक्खेवं - हस्तनिक्षेप-हाथ से लिया हो-धरोहर, बाहिरभंडसारं - बाह्य-धरोहर से अतिरिक्त भाण्डसार-बहुमूल्य वस्तुएं, पइसोएणं - पति शोक से, परसुणियत्ता - कुल्हाडे से काटी गई, धसत्ति- धड़ाम से, धरणीतलंसि- जमीन पर, सव्वंगेहिं - सर्व अंगों से, संणिवडिया - गिर पड़ी। . भावार्थ - तब किसी समय विजयमित्र सार्थवाह ने जहाज से गणिम (गिनती से बेची जाने वाली वस्तुएं) धरिम (जो तराजू से तोल कर बेची जाये) मेय (जिसका माप किया जाय और परिच्छेद्य (जिसा क्रय विक्रय परीक्षा से हो) रूप चार प्रकार की बेचने योग्य वस्तुएं लेकर लवण समुद्र में प्रस्थान किया परंतु लवण समुद्र में जहाज पर विपत्ति आने से विजयमित्र की ये . चारों प्रकार की बहुमूल्य वस्तुएं जलमग्न हो गई और वह स्वयं भी अत्राण-त्राण रहित एवं अशरण-शरण रहित होने से कालधर्म को प्राप्त हो गया।
. तदनन्तर ईश्वर, तलवर, माडम्बिक, कौटुम्बिक, इभ्य-श्रेष्ठी और सार्थवाहों ने जब लवण समुद्र में जहाज के नष्ट होने एवं महामूल्य वाले वस्तुओं के जलमग्न हो जाने पर त्राण और शरण रहित विजयमित्र की मृत्यु का समाचार सुना तब वे हस्तनिक्षेप और बाह्य भांडसार को लेकर एकान्त स्थान में चले गये।
सुभद्रा सार्थवाही ने जिस समय लवण समुद्र में जहाज पर विपत्ति आ जाने के कारण भांडसार के जलमग्न होने के साथ ही विजयमित्र की मृत्यु का वृत्तांत सुना तब वह पति वियोग जन्य महान् शोक से व्याप्त हो गयी और कुल्हाड़े से कटी हुई चम्पक वृक्ष की लता (शाखा) की भांति धड़ाम से पृथ्वीतल पर गिर पड़ी।
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